Book Title: Jainism Course Part 01
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 221
________________ श्री विश्वतारक रत्नत्रयी विद्या राजितं त्रिवर्षीय जैनिज़म कोर्स खण्ड 1 ४) लेखिका २ ओपन-बुक एक्जाम पेपर Total 120 Marks सा. श्री मणिप्रभाश्रीजी म.सा. नोट : 1. नाम, पता आदि भरकर ही जवाब लिखना प्रारंभ करें। 2. सभी प्रश्नों के उत्तर, उत्तर पत्र में ही लिखें। 3. उत्तर स्वयं अपनी मेहनत से पुस्तक में से खोज निकालें। 4. अपने श्रावकपणे की रक्षा के लिए नकल मारने की चोरी के पाप से बचें। 5. जवाब साफ-सुथरे अक्षरों में लिखें तथा इसी पुस्तक की फाईनल परीक्षा के समय उत्तर पत्र के साथ संलग्न कर दें। Q. A: पूर्ण करें (Fill in the blanks):हमारी छोटी-सी असावधानी 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 4. 5. 6. 7. 8. 9. परमात्मा के अभिग्रह पूर्ण होने पर आकाश में आने वाले भव की चिंता करता है। ' बलात्कार का मुख्य कारण भवनपति का आवास स्थान ज्ञातपुत्र . का कारण बनती है। . के कारण प्राप्त नाम है। नारी . परनिंदा से . लोक में है। आसक्ति के ससुर का नाम प्रत्येक महिने में कम से कम एक बार यह बात लोक प्रसिद्ध है कि. . है । रात्री में नवकार के स्मरणपूर्वक सोये हुए व्यक्ति की . की तरह फटाफट पूजा नहीं करनी चाहिए। ॥ श्री मोहनखेड़ा तीर्थ मण्डन आदिनाथाय नमः || ॥ श्री राजेन्द्र-धन- भूपेन्द्र यतीन्द्र-विद्याचन्द्र सूरि गुरुभ्यो नमः ॥ प्रकट होते हैं। . पूजा भगवान के बायी तरफ खड़े रहकर करना चाहिए। है। . रात को नहीं खाते। Q. B. सही उत्तर चुनकर लिखें (Choose the right Answer): 1. 2. . कर्म के क्षय से मोक्ष में आत्मा स्थिर रहती है। (दर्शनावरणीय, नाम, अंतराय ) जो फूल प्रभु पूजा में उपयुक्त होते है वे होते हैं। (भव्य, पुण्यशाली, पूज्य) केवलज्ञान. ..कर्म के क्षय से उत्पन्न होता है। (सब, घाति, अघाति) 3. स्वत: ही हो जाती है। 163 . बदलना चाहिए . है । (रत्नों की पेटी, काँच की प्याली, कोयले की खान) . बंधता है। (पापानुबंधी पुण्य, संसार, गोत्र कर्म) .से भी अधिक तेजस्वी होता है। (सूर्य, रत्न, अग्नि) लिए .. के प्रभु का शरीर मन को विशुद्ध रखने प्रभु भक्ति करने से . ..जरुरी है। (शुद्ध दवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध विचार) . कर्म का नाश होता है। (मोहनीय, वेदनीय, गोत्र) बिलवासी मानव दिन के प्रचंड ताप में . 12 Marks 12 Marks . भून जाने पर रात में उनका भक्षण करेंगे। (मछलियाँ, सब्जियाँ, अनंतकाय)

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