________________
शाउ राजलाक
15888888888 सर्वज्ञ-सर्वदर्शी, Silitil.i
"शिव-अचल-अरुज-अनंत-अक्षय-अव्यांबाघ । अपुनरावृत्ति सिद्धिगति-नाम-स्थान-संप्राप्त
N Hoमुत्ताण मोअगाण
मोक्षनगरमा
N APPPeooper Lumbini
बुद्धाण बोहयाण
(समस्त लोकालोक के शावत ज्ञान-दर्शन को धरनेवाले)
अप्पडिहय-वर-नाणदंसण-धराणं
तिण्णाण तारयाण
अज्ञान समुद्र को तैरनेवाला,
29888888
389
मोह को जीतनेवाला)
दासला और चंदन की ओर समान वृत्तिवाले होकर छा कर्म के आवरण दूर करनेवाले
वियदृछउमाण
जिणाणं जावयाणं
सपड़अवद्रमाणा
जेअभविरसंतिणागएकाले
ककन
जेअअइया सिद्धा
सब्वे तिविहेण वंदामि