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डॉली- (एकदम धीमी आवाज़ में..) हेलो! समीर समीर - क्या हुआ डार्लिंग! आज घर पहुँचकर तुमने मुझे एक भी फोन नहीं किया? मैं कितनी टेन्शन में आ गया था पता है ? तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना। (इतने में अचानक सुषमा की नींद खुल गई, और वह पानी पीने के लिए बाहर आई। डॉली के रुम से बोलने की आवाज़ सुनकर सुषमा ने उसके दरवाज़े पर कान लगाकर सुना, तब उसे पता चला कि डॉली किसी से फोन पर बात कर रही है। सुषमा हॉल के फोन से डॉली की बाते सुनने लगी। डॉली - (रोते हुए) समीर! प्लीज़ मुझे इस नरक से बाहर निकालो। प्लीज़ समीर प्लीज़! मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। समीर - डॉली! तुम रो क्यों रही हो? क्या हुआ? पहले चुप हो जाओ और पूरी बात बताओ। डॉली - समीर! जब से मॉम ने मुझे तुम्हारे साथ बाइक पर देखा है, तब से मॉम सी.आई.डी. की तरह मेरे हर एक काम पर नज़र रख रही है। आज मैं कॉलेज नहीं गई यह भी उनको पता चल गया। समीर - कैसे! डीयर। डॉली- आज मॉम ने मेरा मोबाईल बंद होने के कारण स्वीटी को फोन किया था। वो तो अच्छा हुआ कि स्वीटी को पता नहीं था कि मैं तुम्हारे साथ थी। किसी और को फोन किया होता तो मॉम को जरुर पता चल जाता कि हम मुवी देखने गए थे। समीर, अब और कितने दिन इस तरह छुप-छुप कर मिलना पड़ेगा। तुम जानते ही हो मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती। समीर - जानता हूँ जान! पर क्या करूँ? अभी कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल रही है। सोचता हूँ पहले मैं खुद सेट हो जाऊँ, बाद में मैं तुम्हें वहाँ ले जाऊँगा। बस डॉली कुछ दिन और इन्तजार करो। मैं बहुत जल्दी तुम्हें अपने यहाँ ले आऊँगा। डॉली- समीर! तुम पैसों की क्यों टेन्शन करते हो ? मैं अपने घर से इतने पैसे लेकर आऊँगी कि हम बाकी की जिदंगी आराम से जीएँगे। आखिर मेरा भी पूरा हक है इस घर की संपत्ति पर। बस, तुम एक बार मुझे यहाँ से ले जाओ। फिर हम कहीं दूर जाकर सेटल हो जायेंगे। अपनी मर्जी की जिंदगी जीएँगे। समीर - पर डॉली! मैं तो यह सोच रहा था कि शादी के बाद मैं तो अपने मॉम-डेड को मना लूँगा। पर तुम्हारे मॉम-डेड ने तुम्हें एक्सेप्ट नहीं किया तो? डॉली- उसकी चिंता तुम मत करो, वो लोग मुझे अपनाए या न अपनाए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं तो