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सिर्फ तुम्हारे लिए जी रही हूँ, वर्ना कब की मर गई होती। तुम मुझे मिल जाओगे फिर मुझे किसी की भी जरुरत नहीं है, अपने मॉम-डेड की भी नहीं ।
समीर - ठीक है डॉली, मैं जल्दी ही कोई प्लॉन बनाकर तुम्हें ले जाऊँगा। तुम रोना मत और कल सेंटर होटल में नौ बजे ।
डॉली - ओ. के. बाय, आई लव यू।
(डॉली की बातें सुनकर सुषमा को एक बहुत ही जोर का झटका लगा, वह आगे कुछ सुन न पाई। वह सीधे जाकर अपने पलंग पर लेट गई। सारी रात इस टेन्शन में व्यतीत हुई, पर शायद ही उसे याद होगा कि डॉली झूठ बोलने के संस्कार बचपन में उसी ने दिए थे। जिसके फलस्वरूप आज उसकी लाड़ली उसके प्रेम को, घर-बार को ठोकर मार कर अपने प्रेमी के साथ भाग जाने की प्लॉनींग बना रही थी।)
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सुबह होते ही रात की बात से अनजान डॉली कॉलेज जाने के लिए तैयार हुई। तब - सुषमा कहाँ जा रही हो डॉली ! कॉलेज या सेंटर होटल ? (डॉली घबरा गई)
सुषमा - डॉली, ये समीर कौन है ?
डॉली - मॉम! आपको बताया ही तो था कि समीर मेरा कॉलेज फ्रेन्ड है। यह कैसे बेतुके सवाल पूछ रही है
आप ?
सुषमा - अनजान मत बनो डॉली, समीर यदि तुम्हारा फ्रेन्ड है तो क्या फ्रेन्ड से ऐसी बात की जाती है जैसे तुम कल रात को कर रही थी ? मैंने कल रात की सारी बातें सुन ली है।
(डॉली फिर छुपाने की कोशिश करने लगी)
डॉली - कैसी बातें कर रही हो मॉम ? कल रात को तो मैं सो रही थी। आपको पता ही है, आपके सामने ही तो मैं ....
(डॉली अपनी बात पूरी करे उसके पहले सुषमा ने गुस्से में आकर उसे दो थप्पड़ मार कर उसे रुम में धकेलकर कहा कि)
सुषमा - आज से तुम्हारा इस घर के बाहर पैर रखना बंद। क्या यह दिन देखने के लिए तुझे इतना बड़ा किया था? थोड़ी भी शर्म नहीं आई यह सब करते हुए । (रोते हुए) क्या नहीं दिया मैंने तुझे ? तेरी हर इच्छा पूरी की। तुझे जो चाहिए था, वह लाकर दिया। तुम्हें जब भी बाहर जाना होता तब मैंने कितनी बार तुम्हारे पापा से झूठ बोला। तुम जब-जब घर पर लेट आई तब तुम्हारे पापा से मैंने डाँट खाई । तुमने 10 रूपये माँगे
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