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के चन्दन जैसे स्वभाव को देखकर सेठ ने उसका नाम चन्दनबाला रखा। चंदना का रूप देख सेठ की पत्नी मूला को शंका होने लगी कि सेठ स्वयं इसके साथ विवाह कर लेंगे और यह मेरी सौत बन जायेगी। एक दिन सेठ जब बाहर गाँव गये थे तब मौका देखकर मूला ने चन्दनबाला के सिर का मुंडन कर, उसके हाथ और पैरों में बेड़ियाँ डालकर उसे तहखाने में बंद कर दिया और खुद पियर चली गई। तीन दिन चंदना ने भूखेप्यासे महामंत्र के स्मरण में बिताए। सेठ जब घर आए तब चंदना दिखाई नहीं दी तब पडोसी ने मूला की करतूते सेठ को बताई। सेठ ने तहखाना खोलकर चंदना को बाहर निकाला और एक सूपडे में उड़द के बाकुले देकर, उसकी बेडियाँ तुडवाने के लिए लुहार को बुलाने गया। चंदनबाला ने मन में विचार किया कि-यदि कोई अतिथि आए तो उसे भोजन देकर फिर खाऊँ और इस तरफ भगवान ने कुछ कर्म शेष रहे जानकर कौशंबी नगरी में अपनी इच्छा से निम्न अभिग्रह लिये थे। (1) जिसने सूपड़े के कोने में उड़द के बाकुले रखे हो; (2) एक पैर घर की दहलीज़ के भीतर और एक पैर बाहर हो; (3) राजपुत्री हो और उसे दासत्व प्राप्त हुआ हो, बाज़ार में बेची गई हो; (4) सिर मुंडित हो; (5) उसके हाथों एवं पैरों में बेड़ियाँ लगी हो, नवकार मंत्र का स्मरण कर रही हो; (6) अट्ठम तप सहित रुदन करती बैठी हो। भिक्षा काल व्यतीत हो गया हो तो ही पारणा करना; .
ऐसा अभिग्रह धारण कर श्री वीर भगवान गोचरी के लिए नित्य भ्रमण करते पांच महिने और 25 दिन बीत गये। पर कहीं भी ऐसा योग नहीं बना। राजा के मंत्री प्रमुख लोगों ने अनेक उपाय किये, पर अभिग्रह न फला।
प्रभु फिरते-फिरते चंदनबाला के घर आंगन में पधारें। उन्हें देख हर्षित होकर चंदना बाकुला वहोराने लगी। लेकिन अपने अभिग्रह में आँख में आँसू को न देखकर प्रभु आहार ग्रहण किए बिना ही लौटने लगे। यह देख चंदना अत्यंत दु:खी होकर रुदन करने लगी। तब प्रभु ने उसे रुदन करते देख अपना अभिग्रह संपूर्ण हुआ जानकर चंदनबाला के हाथ से पारणा किया। उसी समय आकाश में देव दुंदुभि बजी एवं पंच दिव्य प्रकट हुए। चंदनबाला के मस्तक पर सुंदर केश आ गए और लोहे की बेडियों के स्थान पर सुंदर दिव्य आभूषण बन गये। इस तरह प्रभु वीर के पाँच मास और पच्चीस दिन के तप का पारणा चंदनबाला के हाथों हुआ। प्रभु के केवलज्ञान के पश्चात् चंदनबाला उनकी प्रथम साध्वी बनी। (१) गोपालक कृतवर्णकीलोपसर्ग :
प्रभु ने त्रिपृष्ठ वासुदेव के भव में शय्यापालक के कान में सीसा गरम कर के डलवाया था, वह कर्म