Book Title: Jainism Course Part 01
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 182
________________ जिनेश - अरे ! क्या हुआ बेटा? तुम्हारी मम्मी प्रेस कर रही है। लाओ मैं बता देता हूँ। (पापा मोक्षा को समझाते है) मोक्षा - अरे! पापा इतना ईज़ी था, मुझे तो पता ही नहीं था। जिनेश - ठीक है बेटा, पर परीक्षा में ध्यान रखना। मोक्षा- ठीक है पापा। __ (नारी संस्कारों को देने वाली एक ऐसी संस्था है जिसकी छत्र-छाया में परिवार पलते-बढ़ते है। यदि एक परिवार संस्कारित होता है तो पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कारित होती है। ____ गुणवान स्त्री घर में कल्पवृक्ष समान होती है। वह परिवार को क्या फल नहीं देती ? उससे परिवार को अनेक लाभ होते है। घर में सुशील स्त्री हो तो पुरुष को घर की चिन्ता नहीं होती। घर के सारे कार्य वह संभाल लेती है। बच्चों को संस्कारित करना, उन्हें पढ़ाना-लिखाना, उनके साथ हँसना -खेलना, उनकी बातें सुनना, उन्हें प्रेम वात्सल्य देना सारे कार्य एक माँ ही कर लेती है। माँ के साथ जब पिता का प्रेम भी बच्चों को मिल जाता है तब उसे और किसी के प्रेम की अपेक्षा ही नहीं रहती। जयणा और जिनेश ने मोक्षा के लालनपालन में कोई कमी नहीं रखी। मोक्षा के बाद जयणा ने एक और पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम मोहित रखा इस तरफ सुषमा ने डॉली के बाद दो पुत्रों को जन्म दिया जिनका नाम प्रिन्स और अंश रखा। समय के साथ अपनी माँ से प्राप्त संस्कारों के अनुरूप यह तीनों भी बड़े होने लगे। थोड़े दिनों बाद जयणा ने मोहित को मोक्षा की तरह गुरुकुल भेजा। इस तरफ सुषमा ने प्रिन्स और अंश को स्टेन्डर्ड बनाने के लिए माउन्ट आबू पर स्थित एक बड़े हॉस्टल में भेजा। सुषमा और आदित्य दोनों साल में एक बार उनसे मिलने जाते थे। . ___बस, इसी प्रकार समय के साथ अपने माता-पिता से मिलने वाले संस्कार, स्नेह और वात्सल्य से पली-बढ़ी डॉली और मोक्षा ने यौवन की दहलीज़ पर कदम रखा। वक्त के साथ माता-पिता द्वारा दिए गए संस्कार उनके जीवन में झलकने लगे। जहाँ डॉली टाईम पास के लिए चौबीस घंटे टी.वी., कम्प्यूटर, शॉपिंग, डिस्को और मोबाईल से बाज नहीं आती थी। वहीं मोक्षा थोड़ा भी समय मिलने पर स्वाध्याय, गाथा, प्रतिक्रमण, धार्मिक अनुष्ठानों में अपना समय व्यतीत करती थी। जहाँ डॉली ने शोर्ट्स, जिन्स, स्लीवलेस आदि को अपनी लाईफ स्टाईल बना दिया था। वहीं मोक्षा ने 'सादा जीवन और उच्च विचार' के आदर्श को अपने जीवन में उतारकर सीधे-साधे, मर्यादापूर्ण वस्त्रों को अपना परिधान बनाया था। जहाँ डॉली को बॉय-फ्रेन्डस् बनाने का, उनके साथ घूमने-फिरने, बातें करने का शौक था। वही मोक्षा लड़कों (134

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