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की परछाई से भी दूर भागती थी। जहाँ डॉली के दिन की शुरुआत ब्रेड-बटर और बेड-टी के साथ तथा रात होटल के पाव-भाजी और पीझा खाकर पूरी होती थी। वहीं मोक्षा पर्वतिथियों में तपश्चर्या और भक्ष्यअभक्ष्य का ज्ञान होने के कारण शुद्ध-भोजन करती थी। संक्षिप्त में जहाँ डॉली का जीवन संपूर्णतया पाश्चात्य संस्कृति (Western culture) पर आधारित था। वहीं मोक्षा का जीवन जैन एवं भारतीय संस्कृति - (Indian culture) के अनुसार था।
(और एक रात... करीब दस बजे तक डॉली घर पर न लौटने पर उसके पिता ने सुषमा से पूछा) आदित्य- सुषमा! डॉली कहाँ है ? बहुत रात हो गई है। सुषमा - डॉली तो अपने फ्रेन्डस् के साथ कम्बाईन स्टडी करने गई है। अभी आती ही होगी। आप जाकर सो जाइए! मैं हूँ ना। (डॉली के पापा सो गये तभी डॉली डिस्को से आई।) डॉली- (नाचते-गाते हुए) एक बार आजा-आजा आ ऽऽऽ जा। सुषमा-आहिस्ता....आहिस्ता! तुम्हारे पापा अभी तुम्हारे बारे में पूछकर सोए है, वैसे बताओ पार्टी कैसी थी?। डॉली - माइंड ब्लोइंग मॉम! बहुत अच्छी थी और पता है पार्टी में सभी ने मेरी इस नई ड्रेस की बहुत तारीफ की। सुषमा - अच्छा सुनो। यदि तुम्हारे पापा कल तुम्हें कुछ पूछे तो कह देना कि तुम अपने फ्रेंड के यहाँ पढ़ाई करने गई थी।
(फ्रेन्ड होने के नाते मोक्षा को डॉली की हर हरकत का पता था। एक दिन मौका मिलने पर मोक्षा ने डॉली को समझाने की कोशिश की) मोक्षा - डॉली! आज ये तूने कैसे कपड़े पहने है? आज ही नहीं बल्कि पिछले कई दिनों से मैं तुम्हें देख रही हूँ और मैंने सोचा भी था कि इस विषय में तुमसे बात करूँ लेकिन चान्स ही नहीं मिल पाया। तुमने कभी अपनी ड्रेसिंग पर ध्यान दिया है। एक अच्छी, सुसंस्कारी और जैन कुल की लड़की को ऐसे कपड़े कभी भी नहीं पहनने चाहिए। यह उत्तेजक वेशभूषा ही तो लड़कों को छेड़ने का मौका देती है। डॉली - मोक्षा! तुम्हें क्या पता, आज की दुनिया के बारे में।आज एक नहीं, दो नहीं, हज़ारों लड़के मेरे पीछे लटू बनकर घूमते हैं। सब मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मैं जहाँ भी जाती हूँ चाहे वो पार्टी हो या डिस्को, मैं उस पार्टी में सेंटर ऑफ अट्रेक्शन बन जाती हूँ। पता है क्यों ? मेरी इस ड्रेसिंग के कारण। यह
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