Book Title: Jainism Course Part 01
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 184
________________ ड्रेसिंग ही तो मेरी मॉडर्निटि की निशानी है। मोक्षा! तुम भी क्या यह 19 वीं सदी के अनपढ़ लोगों की तरह फालतु बातें कर रही हो। जरा अपने आप पर ध्यान दो कितनी बोरिंग है तुम्हारी लाईफ स्टाईल। आज के मॉडर्न युग से कदम से कदम मिलाकर चलना सीखों। मोक्षा- लेकिन डॉली! मैं तुम्हें ही पूछती हूँ। बताओ पैसों की सुरक्षा किसमें है? उसे रास्ते में खोलकर रखने में या उसे घर पर तिजोरी में बंध रखने में ? पैसा जब तिजोरी में बंध हो तब वह सुरक्षित रहता है, लेकिन जब उसे खुले आम रखा जाता है तब उन पैसों को गुंडों एवं इन्कमटेक्स वालों से बचाना दुष्कर हो जाता है। इसी प्रकार कोई स्त्री मर्यादापूर्ण वस्त्रों से अपने शरीर को ढूंक कर रखे तो उसे किसी प्रकार की मुश्किलें उठानी नहीं पड़ती। लेकिन जो तुम्हारे जैसे अश्लील कपड़े पहनती है, भविष्य में उस पर कष्ट आए बिना नहीं रहता। यानि कि उसे अपने शील की रक्षा करना कठिन हो जाता है। सुनो, अभी कुछ दिन पहले न्यूस पेपर में आए एक प्रसंग के बारे में बताती हूँ - बलात्कार का एक केस कोर्ट में आया। लड़की ने लड़के पर आरोप लगाया। न्यायाधीश ने उसका गौर से निरीक्षण शुरु किया। न्यायाधीश ने अंत में पूछा- जब यह केस बना तब तुमने कौन-से कपड़े पहने हुए थे। जब लड़की वे कपड़े पहनकर आई, तब न्यायाधीश ने उसकी छोटी मिडी एवं टाइट टीशर्ट को देखकर कहा- “गलती लड़के की नहीं लड़की की है। यह लड़का तो क्या उस वक्त यदि मैं भी होता तो यह कार्य कर बैठता, अत: लड़की को ही दोषित साबित किया गया। इस उदाहरण से यह समझना मुश्किल नहीं कि लड़के की अपेक्षा लड़कियाँ और उनकी वेशभूषा ही व्यभिचार करवाने में ज्यादा गुन्हेगार है। डॉली - तुम्हारे कहने का मतलब है कि मैं आज की जनरेशन के लोगों के बीच कॉलेज में, क्लासेस में, डिस्को में तुम्हारी तरह ऐसे कपड़े पहनकर जाऊँ। No Way मैं नहीं चाहती कि लोग मुझे बहनजी या मीरा बाई कहकर बुलाएँ। जब गुड़ अपनी मधुरता को छुपाकर नहीं रखता, पुष्प अपनी सुगंध छुपाकर नहीं रखता, चाँद अपनी शीतलता छुपाकर नहीं रखता तो भला हम क्यों इन वस्त्रों से अपनी सुंदरता को ढंक कर रखें। हाँ! यह बात सही है कि हमें अपने शरीर पर किसी को अपना अधिकार जमाने नहीं देना चाहिए। मोक्षा! आज शो ऑफ का ज़माना है। हर किसी को एक दूसरे से बढ़-चढ़कर दिखाने की इच्छा होती है। विद्वान को खुद की विद्वता दिखाना अच्छा लगता है, बलवान को अपने बल का प्रदर्शन करना अच्छा लगता है। श्रीमंत आलीशान फ्लेट, लेटेस्ट फर्नीचर, इम्पोर्टेड गाड़ी, सेल्युलर फोन, रेशमी महंगे कपड़े पहनकर अपनी श्रीमंताई का शो करता है। तो फिर हम इन कपड़ों को पहनकर अपने रूप का थोड़ा-सा

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