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प्र.: किसकी माता कौन है? उ.: (अ) सब तीर्थंकरों की माता - करुणा
(ब) सब धर्म की माता - अहिंसा (स) सब श्रावक की माता - जयणा
(द) सब साधु की माता - अष्ट प्रवचन माता प्र.: आठ बोल पापके एवं आठ बोलधर्म के बताओं? उ.: आठ बोल पापके
आठ बोलधर्म के पाप का बाप - लोभ
धर्म का बाप - अपनी पहचान पाप की माता - हिंसा
धर्म की माता - दया पाप का बेटा - क्रोध
धर्म का बेटा - संतोष पाप की बेटी - तृष्णा
धर्म की बेटी - समता पाप की बहन - कुमति
धर्म की बहन - सुबुद्धि पाप का भाई - असत्य
धर्म का भाई - सत्य पाप का मूल - निर्दयता
धर्म का मूल - अहिंसा पाप की पत्नी - आसक्ति
धर्म की पत्नी - क्षमा प्र.: क्या ईश्वर ने यह जगत बनाया है? उ.: जैन दर्शन के अनुसार ईश्वर जगत को बनाते नहीं है, क्योंकि यदि ऐसा माना जाये कि ईश्वर जगत को बनाते है तो निम्न उलझने पैदा होती है।
अ) ईश्वर ने जगत बनाया तो कहाँ बैठकर बनाया ? आ) ईश्वर का शरीर कहाँ से आया? इ) ईश्वर ने यह विश्व क्यों बनाया? ई) विश्व बनाया तो सबको सुखी, ज्ञानी, सुंदर, धनवान क्यों नहीं बनाया? अत: जगत को बनाने वाले ईश्वर नहीं, कर्म एवं प्रकृति हैं। ईश्वर तो जगत को बताने वाले हैं।