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निर्मल होता है ।
प्र.: रास्ते में मंदिर देखने पर नमो जिणाणं न बोले तो क्या प्रायश्चित आता है ?
उ.: रास्ते में जाते समय मंदिर आए और नमो जिणाणं न बोले तो छट्ठ (दो उपवास) का प्रायश्चित आता है ?
प्र.: स्नात्र पूजा की तैयारी कैसे करनी चाहिए?
उ.: त्रिगड़े के नीचे पाटले पर स्वस्तिक बनाकर उस पर मौली बांधा हुआ श्रीफल रखें। दो कलश में जल एवं दूध का पक्षाल भरकर उसे अंगलूछणे से ढँक दें। कुसुमांजलि के लिए थोड़े चावल धोकर उसमें केसर व पुष्प मिलाएँ। अलग-अलग दो-तीन कटोरी में चंदन व केसर लें, धूप-दीप-अक्षत नैवेद्य, फल, घंट, चामर, दर्पण, पंखा, चार दीपक आदि रखें। रक्षा - पोटली रखें, बत्तीस कोड़ी के लिए शक्तिनुसार रूपयेपैसे - माणक-मोती रखें। अंगलूछणे, आँगी की सामग्री रखें। आरती मंगल दीपक तैयार करें।
आरती ::
जय जय आरती आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नंदा ।। जय ।।
नरभव पामीने ल्हावो लीजे ॥ जय ॥ 1 धूलेवा नगर मां जग अजुवालां ॥ जय ॥ 2 सुरनर इन्द्र करे तोरी सेवा ।। जय ।। 3 मनवांछित फल शिवसुख पूरे ॥ जय ॥4 मूलचंद ऋषभ गुण गाया ।। जय ।। 5 :: मंगल दीप ::
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पहेली आरती पूजा कीजे, दूसरी आरती दीन दयाला, तीसरी आरती त्रिभुवन-देवा, चौथी आरती चउगति चूरे, पंचमी आरती पुण्य उपाया,
दीवो रे दीवो प्रभु मंगलिक दीवो, आरती उतारण बहु चिरंजीवों । सोहामणो घेर पर्व दीवाली, अम्बर खेले अमरा वालीं ।
दीपाल भणे अणे कुल अजुवाली, भावे भगते विघ्न निवारी | दीपाल भणे ओणे ए कलिकाले, आरती उतारी राजा कुमारपाले । अम घेर मंगलिक तुम घेर मंगलिक, मंगलिक चतुर्विध संघ ने होजो ।
वो दीव
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