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आलावे,संलावे,
'एक बार बात में, अनेक बार बात में "उच्चासणे, "समासणे, (गुरु से) "ऊँचे आसन पर बैठने से, "समान आसन पर बैठने से, "अंतर-भासाए, "उवरि-भासाए ।।2।। (गुरु की बात में) "बीच में बोलने पर, "अधिक बोलने में।।2।। 'जंकिंचि मज्झविणय-'परिहीणं 'जो कुछ मेरा विनय रहित 'सुहुमं वा बायरं वा
सूक्ष्म या स्थूल (अपराध) हो, 'तुब्भे जाणह अहं न "जाणामि; 'आप जानते है, मैं नहीं जानता, "तस्स"मिच्छामि दुक्कड़।।3।। "तत्सम्बंधी मेरा "दुष्कृत मिथ्या हो ।।3।।
A . 6. इरियावहियं (प्रतिक्रमण) सूत्र पर भावार्थ - यह छोटा प्रतिक्रमण-पश्चाताप सूत्र है । इसके द्वारा चलने-फिरने से जो विराधना हिंसा होती है, उसकी क्षमापना की जाती है। 'इच्छाकारेण संदिसह 'भगवन् ! 'हे भगवंत ! आपकी इच्छा से आदेश दे , 'इरियावहियं पडिक्कमामि ? 'मैं गमनागमन में हुई विराधना का प्रतिक्रमण करूँ ?
(यहाँ गुरु कहे 'पडिक्कमेह') "इच्छं, "इच्छामि पडिक्कमिउं ।। 1 ।। "इच्छं अर्थात् मैं आपका आदेश स्वीकार करता हूँ ।।1।। 'इरियावहियाए विराहणाए ।।2।। 'ईर्यापथिकी की विराधना से वापस लौटना चाहता हूँ ।।2।। 'गमणागमणे ।।3।।
'गमनागमन में (आने-जाने में)।।3।। 'पाण-क्कमणे, बीय-क्कमणे, 'छोटे प्राणी को दबाने से, धान्यादि सचित्त बीज को दबाने से हरिय-'क्कमणे, ओसा- उत्तिंग, वनस्पति को 'दबाने से, ओस की बूंदे , °चिंटी के बिल "पणग-'दग-मट्टी
"पाँच वर्णों की फूलन निगोद आदि, "कीचड़ (पानी व मिट्टी) "मक्कडा-"संताणा-"संकमणे।।4 ।। "मकड़ी के "जाले को “दबाने से ।।4 ।। 1"जे "मे "जीवा "विराहिया ।।5।। "मुझसे "जो "जीव "दु:खित हुए हो ।। ।। 'एगिदिया, बेइंदिया, 'एक इन्द्रिय वाले (पृथ्वी आदि), दो इन्द्रिय वाले (शंख आदि) तेइंदिया, 'चउरिंदिया 'तीन इन्द्रिय वाले (चिंटी आदि) चार इन्द्रिय वाले (मक्खी
आदि)