________________
० बी. के. हर्ष
संघर्षमय दशक की उपलब्धि
किसी भी शैक्षणिक संस्था का प्रथम दशक संघर्ष से भरा होता है। यह संघर्ष अगर सम्पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ होता है तब "एक यशस्वी दशक' का प्रकाशन होता है। मेरी आंतरिक शुभकामना है कि विद्यालय अगणित दशक की सफलतापूर्ण यात्रा करे और शिक्षा क्षेत्र में अपना नाम सबसे ऊपर रखे ।
हमारी शिक्षा पद्धति इस समय एक विचित्र विरोधाभास के दौर से गुजर रही है। बाजार व्यवस्था ने हमारे सभी मूल्यों को झकझोरना आरम्भ कर दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में भाषा को लेकर जिस महीन तरीके से हमला आरम्भ हुआ वह एक बनी बनाई योजना है। आज सम्पूर्ण भारतीय भाषाओं के समक्ष अंग्रेजी एक चुनौती के रूप में आकर खड़ी हो गई है। अंग्रेजी व्यापार की भाषा 'सकती है लेकिन भारतीय समाज के लिए वह आत्मा की भाषा नहीं हो सकती। जिनकी रगों में माँ का दूध दौड़ता है वे अपनी मातृजुबान कभी भी छोड़ नहीं सकते। मैं बोतल से दूध पीने वाले के बारे में नहीं जानता। किसी भी देश की शिक्षा-संस्कृति उसकी अपनी भाषा पर विकसित होती है। लेकिन हमारे यहाँ शिक्षा के कई स्तर हैं। शिक्षण संस्थायें जो सामाजिक जीवन को नया रूप देती हैं वे भी इन दिनों बाजार की गिरफ्त में फँस गई हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर जिसमें श्री जैन विद्यालय भी एक है। अनेक शिक्षा संस्थायें इन दिनों पाँच सितारा होटलों जैसा रूप ले चुकी हैं जो
विद्यालय खण्ड / ४४
Jain Education International
शिक्षा की दृष्टि में एक खतरनाक रूप है। यह स्थिति विभेद पैदा करती है जो हिंसा की प्रवृत्ति में परिणत होती है। वैसे भी देश के सामने अनेक समस्याएँ हैं। अगर शिक्षण संस्थायें इन्हें रोकने में सहायक नहीं हो सकतीं तो प्रोत्साहित तो न करें । शिक्षण संस्थाओं में जिन मूल्यों, आदर्शों को दिया जाता था और एक स्वस्थ नागरिक तैयार होता था, आज उसका अभाव होने लगा है। जो शिक्षण संस्थायें आज भी मूल्यों को लेकर चलती हैं उनका दायित्व दिनप्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। सामान्य आदर्श और मूल्य किसी विद्यार्थी को एक ऐसा नागरिक बना सकते हैं जिसकी आज घर, परिवार, समाज और देश को जरूरत है। शिक्षा मनुष्य में तीसरा नेत्र खोलती है जिसे विवेक का नेत्र कह सकते हैं। शिक्षा अज्ञान रूपी अन्धकार से लड़ने का शक्तिशाली प्रकाशमय हथियार है। शिक्षा अंध विश्वास के खिलाफ आदमी में चेतना जागृत करती है। शिक्षण संस्थायें आज भी चाहें तो यह कार्य फिर आरम्भ कर सकती हैं। मुझे विश्वास है यह कार्य भविष्य में आरम्भ होगा ।
For Private & Personal Use Only
प्रधानाचार्य : हरकचंद कांकरिया श्री जैन विद्यालय, जगतदल
निकिता अग्रवाल, अष्टम् ब
शिक्षा - एक यशस्वी दशक
www.jainelibrary.org