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करने वाले १५ छात्रों ने अचानक ही नई दृष्टि से थोरो की 'वाल्डेन' पुस्तक पढ़नी आरंभ कर दी। वे सब जानते थे कि वह जंगल में क्यों गया, उसने अपनी झोंपड़ी कैसे बनाई और वह अपने अनुभव को इतना अच्छा क्यों मानता था कि वह उसके बारे में दुनिया को बतलाना चाहता था। उन्हें अब यह भी मालूम था कि अंत में वह उस जंगल को छोड़ कर क्यों चला आया। वह वाल्डेन ताल के पानी का स्वाद चख चुका था। अब अन्य अमृत कुंडों की ओर चल देने का समय आ गया था।
मैं इसलिए पढ़ाता हूँ कि पढ़ाने से मुझे विभिन्न प्रकार के अमृत का स्वाद चखने, बहुत से जंगलों में जाने और फिर वहाँ से अन्यत्र चल देने, बहुत सी अच्छी पुस्तकें पढ़ने और मिथ्या तथा वास्तविक संसार के बहुत से अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलता है। अध्यापन कार्य से मैं बराबर सीखता रहता हूँ। यह कार्य मुझे विविधता, चुनौती और अवसर प्रदान करता है।
लेकिन अब भी पढ़ाने के असली कारण तो रह ही गए। __ एक लड़की है विकी। वह मेरी पहली छात्रा थी जो डाक्टरेक्ट कर रही थी। वह उत्साही युवती थी, लेकिन उसका उत्साह अकसर मंद भी पड़ जाता था। स्नातकोत्तर डिगरी के लिए जिस साहित्य का वह अध्ययन कर रही थी, उसी में कड़ी मेहनत के बावजूद उसे कोई रोमांच अनुभव नहीं होता था। लेकिन उसने १४वीं शताब्दी के एक बहुत ही कम विख्यात कवि पर शोध प्रबंध तैयार करने में अपनी जान खपा दी। उसने बड़े परिश्रम से कुछ लेख तैयार किए और उन्हें कुछ ऊँची पत्रिकाओं को भेज दिये। ये सब लेख उसने खुद ही लिखे थे। मैंने तो एकाध बार टहोका भर ही दिया था। लेकिन जब उसने अपना शोध पूरा किया, उस समय मैं वहीं था। पता चला कि उसके वे लेख स्वीकृत हो गए हैं। उसे नौकरी मिलने के साथ-साथ हार्वर्ड विश्वविद्यालय (कैंब्रिज, मासाचुसेट्स) से एक ऐसे विषय में पुस्तक लिखने के लिए छात्रवृत्ति भी मिल गई है। इस पुस्तक का विचार उसके मन में उन दिनों ही आया था जब वह मेरी छात्रा थी।
दूसरा कारण है जार्ज। वह मेरा सबसे अच्छा छात्र था। पहले वह इंजीनियरिंग पढ़ रहा था, पर बाद में उसने साहित्य ले लिया क्योंकि वह जड़ पदार्थों की तुलना में लोगों को अधिक पसंद करता था। उसने एम. ए. की उपाधि प्राप्त की और अब वह एक जुनियर हाई स्कूल में अंगरेजी का अध्यापक है।
जीन नाम की एक अन्य लड़की कॉलेज छोड़ गई थी। लेकिन उसके कुछ सहपाठी उसे वापस ले आए क्योंकि वे जीन को आत्मनिर्भर-भवन परियोजना का परिणाम दिखाना चाहते थे। जब
वह वापस आई तो मैं वहीं था। उसने मुझे बताया कि उसकी शहर के गरीब लोगों में दिलचस्पी है। फिर वह पढ़-लिखकर नागरिक अधिकारों की वकील बन गई।
इनके अलावा जैक्वी- सफाई करने वाली औरत। उसकी खास बात यह है कि हममें से अधिकतर लोग जितना विश्लेषण द्वारा सीखते हैं, उससे कहीं अधिक वह सहज ज्ञान द्वारा जान जाती है। जैक्वी ने सेकंडरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज में जाने का निश्चय किया।
ऐसे लोगों के कारण मैं पढ़ाने का काम करता हूँ। ये लोग मेरी . आँखों के सामने ही रहते-रहते बढ़ते हैं और बदलते जाते हैं। अध्यापक होने का अर्थ है जब माटी नए-नए रूप धर रही हो, सृजन के उन क्षणों में उपस्थित रहना। जन्म के बाद जब बच्चा पहली चीख मारता है, उस क्षण में उसका साक्षी होने से बढ़कर और कुछ रोमांचकारी नहीं है।
पढ़ाई के क्षेत्र से बाहर ‘पदोन्नति' से मुझे पैसा और शक्ति मिल सकती है, लेकिन पैसा तो पहले ही मेरे पास है। मैं जो काम करता हूँ और जिसमें मुझे सबसे अधिक आनंद आता है, उसके लिए मुझे पैसा मिलता है। यह काम है पुस्तकें पढ़ाना, लोगों से बातचीत करना, नई-नई खोज करना और अनगिनत प्रश्न करना। केवल धनी होने में क्या तुक है?
मेरे पास तो शक्ति भी है। मुझे टहोका लगाने का, किसी में चिनगारी जलाने का, परेशानकुन सवाल करने का, किसी जवाब की तारीफ करने का, सच्चाई से मुँह छिपाने पर निंदा करने का, किताबें सुझाने और राह दिखाने का अधिकार है। इसके अलावा और कौनसा अधिकार माने रखता है?
किंतु अध्यापन से धन और अधिकार के अलावा कुछ और भी मिलता है और वह है प्यार। यह प्यार केवल ज्ञान, पुस्तकों और विचारों के प्रति प्यार ही नहीं है बल्कि वह प्यार भी है जो एक अध्यापक को उस छात्र से होता है जो उसके जीवन में कच्ची मिट्टी की तरह आता है और नए-नए रूप धरने लगता है। शायद इसके लिए प्यार शब्द सही नहीं है, जादू अधिक उपयुक्त होगा।
मैं इसलिए पढ़ाता हूँ कि जो लोग सांस लेना शुरू कर रहे हैं, उनके आसपास रहते हुए कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है जैसे उनके साथ-साथ मैं भी नए सिरे से सांस लेने लगा हूँ।
विद्वत खण्ड/७८
शिक्षा-एक यशस्वी दशक
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