Book Title: Jain Vidyalay Granth
Author(s): Bhupraj Jain
Publisher: Jain Vidyalaya Calcutta

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Page 319
________________ लिखी है जिसमें उक्त कृति का सारांश सहित अन्य प्रकाशित/ वैजनाथ (सरावगी) से प्रकाशित व मिश्रा एण्ड कम्पनी कलकत्ता से अप्रकाशित ज्ञान भण्डार की जानकारी दी है। मुद्रित करायी। पृष्ठ-६ इसका प्रकाशन १९५७ में हुआ। १९. हम्मीरायण-प्रस्तुत पुस्तक जयतिगदे चौहान के पुत्र २५. नगरकोट-कांगड़ा महातीर्थ- हिमाचल प्रदेश के जैन रणथंभोर के राजा हम्मीरदे की कथा भाण्डाजी व्यास द्वारा रचित, तीर्थ जिसे उत्तरी भारत का शत्रुजय तीर्थ कहा जाता है पर श्री सादुल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट बीकानेर द्वारा प्रकाशित भँवरलाल नाहटा की शोध पुस्तक के १३८ पृष्ठ पूज्य बंसीलालजी (राजस्थान भारती प्रकाशन) रेफिल आर्ट प्रेस, कलकत्ता द्वारा मुद्रित कोचर शतवार्षिकी अभिनन्दन समिति द्वारा प्रकाशित व राज प्रोसेस संवत् २०१७ में श्री भंवरलालजी नाहटा द्वारा सम्पादित है। प्रिन्टर्स द्वारा मुद्रित है। प्रकाशकीय श्री लालचन्द कोठारी, दो शब्द भंवरलाल नाहटा व २६. श्री स्वर्ण गिरि-जालोर-राजस्थान के प्राचीन जैन भूमिका डॉ० दशरथ शर्मा ने लिखी है। तीर्थ श्री स्वर्ण गिरि जालोर, यह कृति १०८ पृष्ठों में लिखकर श्री . २०. समयसुन्दर रास पंचक-युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि से भंवरलाल नाहटा ने, प्राकृत भारती अकादमी जयपुर और बी.जे. नाहटा दीक्षित, सकलचंदगणि के शिष्य महोपाध्याय समयसुन्दरजी (महान फाउण्डेशन, कलकत्ता से प्रकाशित व राज प्रोसेस प्रिन्टर्स/अन्टार्टिका कवि, संत, साहित्यकार) की जीवनी के साथ उनकी रचनाओं को ग्राफिक्स कलकत्ता से मुद्रित करायी ३० अगस्त १९९५ ई० को। श्री भंवरलाल नाहटा ने सम्पादित किया है। सादुल राजस्थानी रिसर्च २७. भगवान महावीर का जन्म स्थान "क्षत्रियकुण्ड''इन्स्टीच्यूट बीकानेर द्वारा प्रकाशित रेफिल आर्ट प्रेस कलकत्ता द्वारा तीर्थ की प्रमाणिकता पर शोधपरक पुस्तक श्री अगरचन्द के साथ श्री मुद्रित १५१ पृष्ठीय, २०१७ संवत् की २५वीं कृति। इसकी भँवरलाल नाहटा ने लिखी व महेन्द्र सिंघी द्वारा प्रकाशित १८ पृष्ठ/ महत्ता पर दो शब्द श्री कन्हैयालाल सहल प्रिंसिपल बिडला आर्ट्स सचित्र, वीर निर्वाण सम्वत् २५००। कॉलेज, पिलानी (३०-४-६१) ने लिखे हैं। २८. श्री गौतम स्वामी का जन्म स्थान कुण्डलपुर २१. पद्मिनी चरित्र चौपाई-प्रस्तुत शोधपूर्ण ग्रन्थ सौन्दर्य, (नालन्दा)- जैन पुरातत्व/साहित्य व प्रमाण पुरस्सर तीर्थ भूमि बुद्धियुक्त धैर्य, अदम्य साहसी, पातिव्रत्य व सतीत्व की प्रतीक रानी नालन्दा सचित्र पुस्तक के १८ पृष्ठ का लेखन श्री भंवरलाल नाहटा पद्मावती पर रचित, संग्रहित व शोधसिद्ध रचना है। श्री भंवरलाल ने किया व प्रकाशन महेन्द्र सिंघी ने वीर निर्वाण संवत् २५०१ में। नाहटा द्वारा सम्पादित, सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर २९. वाराणसी : जैन तीर्थ- उत्तर प्रदेश की धर्मभूमि (राजस्थान भारती प्रकाशन) से प्रकाशित (२०१८ सं०, २१५ वाराणसी पर प्रस्तुत पुस्तक श्री भंवरलाल नाहटा द्वारा लिखित व पृष्ठीय) कृति दशरथ शर्मा के विवेचन सहित कवि लब्धोदय की महेन्द्र सिंघी द्वारा प्रकाशित २५०२ वीर निर्वाण संवत् की १७ प्रथम रचना है। पृष्ठीय कृति है। २२. सती मृगावती- कविवर समयसुन्दर कृत सार का सार ३०. काम्पिल्यपुर तीर्थ- १३वें तीर्थंकर विमल नाथ श्री भंवरलाल नाहटा की प्रथम कृति १७ वर्ष की आयु में (सन् भगवान की कल्याणक भूमि कम्पिला पांचाल देश की राजधानी पर १९२८) लिखी पुस्तक के अप्राप्य होने से पुनः श्री जिनदत्तसूरि सेवा जैन शोधार्थी की एक नजर की प्रतिबिम्ब रूपी यह पुस्तक उस संघ द्वारा प्रकाशित, सुराना प्रिंटींग वर्क्स द्वारा मुद्रित (वीर निर्वाण संवत् भारतवर्ष के प्राचीनतम नगर में धर्म/पुरातत्व, जैन विभूतियों की २५०४ आश्विन कृष्ण २) १७ पृष्ठों की पुस्तक है। तपोभूमि व विचरण भूमि पर विस्तृत प्रकाश लेखक भँवरलाल २३. तरंगवती- आचार्य श्री पादालिप्तसूरि की प्राकृत कृति नाहटा ने डाला है। १४ पृष्ठ की कृति श्री जैन श्वेताम्बर महासभा का संक्षिप्त रूप 'तरंगवती' शतावधानी पं० धीरजलाल शाह की (हस्तिनापुर) उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकासित व सुराणा प्रिन्टिंग वर्क्स गुजराती में प्रकाशित (श्रेणी ५ भाग १-२) 'बाल ग्रन्थावली' का कलकत्ता द्वारा मुद्रित है। हिन्दी अनुवाद है। यह कृति श्री जिनदत्तसूरि सेवा संघ द्वारा प्रकाशित ३१. महातीर्थ श्रावस्ती- तीर्थंकर भगवान संभवनाथ की व सुराणा श्री नवरतनमल एवम् माता झणकार देवी की पुण्य स्मृति चार कल्याणक भूमि और गौतम बुद्ध की तपस्या स्थली सावत्थी में उनके पुत्रों (श्री प्रेमचंद, भागचन्द, धनकुमार) द्वारा मुद्रित है। (बहराईच-बलरामपुर से १५ किलोमीटर दूर) जैन तीर्थ पर ४० २४. कलकत्ते की जैन कार्तिक रथयात्रा महोत्सव- विश्व पृष्ठों में श्री भंवरलाल नाहटा द्वारा लिखित व पंचाल शोध संस्थान की अतुलनीय जैन रथयात्रा का उद्देश्य, महत्ता, ऐतिहासिक-तथ्य द्वारा प्रकाशित है। सुराना प्रिन्टिंग वर्क्स द्वारा मुद्रित है। १९८७ सप्रमाण लिखकर श्री भंवरलाल नाहटा ने नाहटा ब्रदर्स व जोगीराम ई०, विक्रम संवत् २०४४ में। विद्वत खण्ड/१३८ शिक्षा-एक यशस्वी दशक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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