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0 मिन्की अग्रवाल, पंचम् ब
दुःख इंसान की जिन्दगी में दुःख का सैलाब आता है, तब वह अपनी वास्तविकता से बेखबर हो जाता है।
दिन में तारे नजर आते हैं,
रात को सूर्य दिखता है। अपनों की बातें जहर लगती हैं, खुद पर कहर बन बरसती हैं ।
दु:खों का क्या है निदान, बता दे ओ, भगवान । ताकि कर दूं मैं, जगत् से दु:खों का निदान ।
पंद्रह अगस्त
पंद्रह अगस्त आया है, वीरों की याद दिलाया है।
आओ मिलकर खुशी मनाएँ, खुद हँसे औरों को भी हँसाएँ । सबको प्रेम का पाठ पढ़ाएँ,
हम सब मिलकर नाचें गाएँ । नाटक खेलें नृत्य करें, भाषण दें और कविता करें। देश रक्षा की शपथ लें, निरंतर आगे बढ़ते चलें।
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शिक्षा-एक यशस्वी दशक
विद्यालय खण्ड/५३
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