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२६ संख समुद्र २७ रुचक द्वीप
२८ रुचक समुद्र
२६ भुजङ्ग द्वीप
३० भुजङ्ग समुद्र
३२ कुस द्वीप
३२ कुस समुद्र
३३ कुच द्वीप
जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
३४ कुच समुद्र
३५ हार द्वीप
३६ हार समुद्र
३७ हारवर द्वीप
३८ हारवर समुद्र
३६ हारवर भास द्वीप
४० हारवर भास समुद्र
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३३५५४४३२०००००
६७१०८८६४०००००
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२६८४३५४५६०००००
५३६८७०६१२०००००
१०७३७४१८२४०००००
२१४७४८३६४८०००००
४२६४६ ६७२६६०००००
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इस तालिका में बताया हुआ उच्च्चालीसवां हारवरभास द्वीप १०६६५११६२७७७६०००००००० मील के क्षेत्र का लम्बा-चौड़ा गोलाकार है और चालीसवाँ हारवरभास समुद्र २१६६०२३२५५५५२०००००००० मील क्षेत्र लम्बा-चौड़ा गोलाकार है। पृथ्वीके असंख्य द्वीप - समुद्रों के आखिर का समुद्र स्वयं-भू-रमण नामी समुद्र है । यह वही स्वयं भू-रमण समुद्र है जिसके बड़ेपन की उपमा जैनी लोग बड़े गर्व से दिया करते हैं। जम्बूद्वीप के
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