Book Title: Jain Dharmachi Olakh
Author(s): Vijaya Gosavi
Publisher: Sumeru Prakashan Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ २) अर्थपर्याय : प्रदेशत्व गुणास सोडून बाकीच्या सर्व गुणांच्या परिणमनास अर्थपर्याय म्हणतात. पर्यायाचे द्रव्यपर्याय व गुणपर्याय हे पण भेद आहेत. गुण विशेष अस्तित्व वस्तुत्व स्वभाव अर्थपर्याय Jain Education International सामान्य द्रव्यत्व प्रमेयत्व अगुरुलघुत्व प्रदेशत्व अर्थपर्याय व्यंजनपर्याय विभाव अर्थपर्याय स्वभाव व्यंजनपर्याय जैन धर्माची ओळख / २१ पर्याय For Private & Personal Use Only विभाव व्यंजनपर्याय www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98