Book Title: Jain Dharmachi Olakh
Author(s): Vijaya Gosavi
Publisher: Sumeru Prakashan Mumbai

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Page 48
________________ bouqaure www आयु ४ पर्ययज्ञानावरण ज्ञानावरण दर्शनावरण वेदनीय २ मोहनीय २५ नाम ९३ गोत्र २ अन्तराय केवलज्ञानावरण वीर्यान्तराय अवधिज्ञानावर मतिज्ञानावरण श्रुतज्ञानावरण Ajuo asn jeuosledad Jos निद्रा टोर करने असातावेदनीये नंतर बाइबाट लाभान्तराय नेद्रानिद्रा गति ४ नरकायु चक्षुदर्शनावरण भोगान्तराय नुपूर्व्य प्रचला גוגו לקום प्रचलाप्रचला, सम्यक मिध्यात्व अनन्तानुबंधी तिर्यचायु जाति ५ सुस्वर मिथ्यात्व अयज्ञः कीर्ति सज्वलन अप्रत्याख्यानावरण नीचगोत्र मनुष्यायु हास्य With विहायोगति प्रत्येकशरीर बंधन स्थावर अरति प्रत्याख्यानादरण स्त्रीवेद संहनन ६ अशुभ तीर्थंकरत्व आतप उद्योत सूक्ष्म साधारण‍ jeonudeu uojeonpuler उच्छ्वास शोक शुभ आदय कीर्ति नपुसकवेट जुगुप्सा सुक्ष्मत्व भय रति निर्माण वर्ण ५ स्पर्श ८ बादर गंध २ रस ५ पर्याप्ति अपर्याप्ति Do

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