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कहा कि सूरिजी महाराज जहां बिराजते हों वहां जाकर अकबर की तरफ से प्रार्थना करें और साथ ही आपकी तरफ से भी फतेहपुर सीकरी पधारने की विनती करना क्योंकि सूरिजी के जाने से अकबर के हृदय में जैनधर्म के प्रति श्रद्धा हो जाने पर आप लोगों की महत्ता अधिक बढ़ जायगी, अतः अविलम्बेन फरमान सूरिजी की सेवा में उपस्थित करते हुए आप अपनी तरफ से भी विनती करें ।
शाहबुद्दीन गवर्नर साहेब की आज्ञा पाकर अहमदाबाद के मुख्य २ श्रावकगण तथा मोदी और कमाल फरमान के साथ गंधार पहुँचे । गंधार भरुच जिले में खंभात की खाड़ी के किनारे पर बसा हुआ था, जहां कि सूरिजी चातुर्मास में भव्य प्राणियों को प्रतिबोध देते हुए उनकी पिपासा को दूर कर रहे थे । आपके निकट पहुँचते ही सेवा में फरमान को उपस्थित करते हुए फतहपुर सीकरी पधारने के लिए अपनी तरफ से भी सविनय प्रार्थना की ।
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गंधार में धनाढ्य एवं धर्मी रामजीगंधार नाम के सेठ रहते थे, इन्होंने गुरुदेव की कीर्ति और चमत्कारिक लीला को सुन करके आमंत्रण पूर्वक बुलाया, गुरुदेव भी संघ की विनती को मान देकर के गंधार नगर के बाहर पधारे। उस समय किसी व्यक्ति ने रामजीगंधार को गुरुदेव के पधारने की बधाई दी । खुश होकर के सेठने कहा कि मेरे पांच सौ मकान में सामान भरा हुआ है, सबके ताले लगे हुए हैं । उनकी ये चाबीयें हैं. तुम्हारी इच्छा के अनुसार एक चाबी से एक मकान का ताला खोलो, उसमें जो चीजें मिले वह सब तुम्हारी है । फिर उसने एक मकान का ताला खोला, देखा तो पांच सौ वाहन के बांधने की डोरी निकली। सेठ के कहने के अनुसार मुनीम ने बेच दी उनकी कीमत के ग्यारह लाख बावन हजार रुपये आये थे तमाम बधाई देने वाले को दे दिये । वह भी बड़ा खुश हुआ। बाद में शानदार सामैया पूर्वक हीरा पन्ना के साथिया पूर्वक गुरुदेव को नगर प्रवेश करवाया । धन्य है ऐसे श्रावकों को कि गुरुदेव की
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