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जैनेतर मुसलमान आदि को सद्बोध देने लगे, जिससे कितने ही हिन्दू, मुसलमान लोगों ने मद्य मांस का आजीवन परित्याग कर दिया।
आगरे में विराजमान जगद्गुरु को जानकर के दर्शनार्थ अकबर आकर के जनता की बढ़ती हुई सद्भावना को देख सुन कर अत्यंत हर्षित हुआ।
एक समय जगद् गुरु और अकबर परस्पर वार्तालाप कर रहे थे उस समय प्रसंगवश गुरुजी ने कहा कि अब मेरी चौथी अवस्था आ गई है प्रतिदिन शारीरिक शक्ति भी घट रही है, अतएव ऐसा विचार है कि इधर उधर न घूम कर गुजरात में रहे हुए शत्रंजय गिरनार आदि पवित्र तीर्थों की यात्रा करके शेष जीवन एक तीर्थ स्थान पर व्यतीत करूं।
श्राप से एक मांग है कि गुजरात आदि देशों में रहे हुए शत्रुजय गिरनार बाबू तारंगा केसरीयाजी समेत शिखर और राजगृही के पांच पहाड़ आदि जो हमारे बडे बडे तीर्थ स्थान हैं उन पर कितने ही अविचारी बुद्धिहीन मुसलमान हिंसादि कृत्य कर हमारे दिल को दुःखाते हैं और तीर्थ की पवित्रता को नष्ट भ्रष्ट कर देते हैं इसलिये आप से अनुनय है कि इन तीर्थो के विषय में एक ऐसा फरमान हो जाना चाहिये जिससे कोई भी मनुष्य इन तीर्थों पर किसी भी प्रकार से अनुचित व्यवहार न करने पावे।
इस प्रकार जगद् गुरु के दयामय वचन सुनकर तुरन्त ही बादशाह ने अपने फरमान में गुजरात के शत्रुजय, पावापुरी, गिरनार, सम्मेत शिखर और केसरियाजी आदि जैन सम्प्रदाय के पवित्र तीर्थ हैं, उनमें से किसी तीर्थ पर कोई भी मनुष्य अपनी दखलगिरी न करे और कोई जान बूझ कर किसी जानवर की भी हिंसा न करे, ये
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