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तीसरी आरती दश यति धरम की तप निरमल उद्धार करण की ।। आ० ॥ ३॥ चौथी संयम श्रत धरम की शुद्ध दया रूप धरम बरधण की ।। आ०॥४॥ पांचमी सभी सद्गुण ग्रहण की दिन दिन जस परताप करण की ।। श्रा० ॥ ५॥ एह विध आरती कीजे गुरुदेव की स्मरण करत भवि पाप हरण की ॥ श्रा० ॥६॥
श्री जगद्गुरु स्थापना मंत्र १ आह्वाहन मंत्र- (आह्वाहन मुद्रा करके बोले)
ॐ ह्रो श्री अह युग प्रधान भट्टारक श्री हीरविजय सूरिश्वर जगद् गुरो ! अत्र अवतर अवतर स्वाहा । २ स्थापना मंत्र- (स्थापना मुद्रा करके बोले)
___ ॐ ह्री श्री श्री अहं युगप्रधान भट्टारक श्री हीरविजय सूरि जगद् गुरो ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठ ठःस्वाहा। सन्निधि करणमंत्र
ॐ ह्री श्री अहं युगप्रधान भट्टारक श्री हीरविजय सूरि जगद् गुरो ! मम सन्निहितो भवभव वषट् स्वाहा ।
जगद्गुरु को अष्ट प्रकारी पूजा की सामग्री १पंचामृत कलश
५ दीपक २ केशर चंदन
६ अक्षत ३ फूल फूलमाला
७ नैवेद्य ४ धूप
८फल
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