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अकबर के सिरताज कहलाये, चिड़ियों का संहार मिटाये,
जग में ये अवतार भविया ।। २ ।। सूरीश्वर भारत के नेता, पिस्तालीश आगम के वेत्ता,
अहिंसा धर्म प्रचार भविया ॥ ३ ॥ तीर्थो के पट्टे करवाये, शिक्षा द्वारा कर हटवाये,
किया बहुत उपकार भविया ॥ ४॥ गुरु “हिमाचल' यू फरमावे, शिष्य "भव्यानन्द" दिल में ठावे,
होवे जय जय कार भविया ।। ५ ।।
गायन नं० ३ (तर्ज-काली कम्बली वाले-) जगद् गुरु श्री हीर प्यारे धर्म दातार । टेर । स्वामी सुधर्मा वीर गणधारो, तस्स अट्ठावन पट पै भारी,
शासन के श्रृंगार प्यारे ॥१॥ सर्व सिद्धांत को मंथन करके, भव्य जीवों का संशय हरके, __ किया सुतत्व प्रचार प्यारे ।। २ ।। अकबर को हित शिक्षा देकर, समता का शुद्ध पाठ पढ़ाकर,
किया जगत उपकार प्यारे ।। ३ ।।
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