Book Title: Jagad Guru Hir Nibandh
Author(s): Bhavyanandvijay
Publisher: Hit Satka Gyan Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 130
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११६ अकबर के सिरताज कहलाये, चिड़ियों का संहार मिटाये, जग में ये अवतार भविया ।। २ ।। सूरीश्वर भारत के नेता, पिस्तालीश आगम के वेत्ता, अहिंसा धर्म प्रचार भविया ॥ ३ ॥ तीर्थो के पट्टे करवाये, शिक्षा द्वारा कर हटवाये, किया बहुत उपकार भविया ॥ ४॥ गुरु “हिमाचल' यू फरमावे, शिष्य "भव्यानन्द" दिल में ठावे, होवे जय जय कार भविया ।। ५ ।। गायन नं० ३ (तर्ज-काली कम्बली वाले-) जगद् गुरु श्री हीर प्यारे धर्म दातार । टेर । स्वामी सुधर्मा वीर गणधारो, तस्स अट्ठावन पट पै भारी, शासन के श्रृंगार प्यारे ॥१॥ सर्व सिद्धांत को मंथन करके, भव्य जीवों का संशय हरके, __ किया सुतत्व प्रचार प्यारे ।। २ ।। अकबर को हित शिक्षा देकर, समता का शुद्ध पाठ पढ़ाकर, किया जगत उपकार प्यारे ।। ३ ।। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134