Book Title: Jagad Guru Hir Nibandh
Author(s): Bhavyanandvijay
Publisher: Hit Satka Gyan Mandir

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Page 131
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकबर द्वारा दया पलाई, भारत में सब फूट मिटाई, किया तीर्थ उद्धार प्यारे ॥४॥ अकबर को सन्मार्गी बनाया, राजा और राणा को झुकाया, अतुल शक्ति के धार प्यारे ।। ५ ।। ऋषि मेघ को शिष्य बनाया, जैन धर्म का मूल बताया, ____भवो भव तारण हार प्यारे ॥६॥ शास्त्रार्थ करने पण्डित आवे, तेज प्रताप से हार वो पावे, त्यागी सदा जयकार प्यारे ।। ७॥ सूरि “हिमाचल' जग समझावे, जगद्गुरु के गुण को गावे, पावे सुख अपार प्यारे ॥ ८॥ दो हजार अरु आठ के वरषे, चौमासा बढ़वान में हरणे, "भव्यानन्द'' गुण गाय प्यारे !! ६ ॥ जगद गुरु हीर सज्जाय ( तर्ज-एक दिन पुण्डरीक गणधर रे लाल ) एक दिन जग गुरु परिवर्या रे लाल, ___ फतेपुर नगर मज्झार उपकारी रे, साथे सुशिष्य बहु भला रे लाल, शम दम गुणना भंडार जयकारी रे ॥१॥ For Private and Personal Use Only

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