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जगद् गुरु हीर गायन नं० १
( तर्ज - अंखिया मिलाके )
भारत जगाने जैन बनाने, सूरि फिर आना हो । टेर || अहिंसा का तत्व समझाने, जैन धर्म का मर्म बताने,
हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे, फिर यूं कहेंगे ।। १ ।। हिन्दु मुस्लिम झगड़े बुझाने, फैले हुए अत्याचार मिटाने,
हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे, फिर यूं कहेंगे ॥ २ ॥ राजाओं को बोध दिलाने, स्वराज्य का झंडा फहराने.
हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे फिर यूं कहेंगे ॥ ३ ॥ इन्हीं गुरु के पाट परम्पर, सोहे गुरु श्री हित सुहंकर,
हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे, फिर यूं कहेंगे ॥ ४ ॥ तस पद पंकज "हिम्मत" कहता,
शिष्य " भव्यानंद" दिल में धरता,
हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे, फिर यूं कहेंगे ॥ ५ ॥
गायन नं० २
(तर्ज - सिद्धाचलना वासी - )
सूरि हीर ने सेवो भविया सुख
जगद् गुरु को दिल में धारा, शासन वीर का चांद सितारा,
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अपार ॥ देर ॥
ये गुणों के भंडार भत्रिया ॥ १ ॥