Book Title: Jagad Guru Hir Nibandh
Author(s): Bhavyanandvijay
Publisher: Hit Satka Gyan Mandir

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Page 129
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११५ जगद् गुरु हीर गायन नं० १ ( तर्ज - अंखिया मिलाके ) भारत जगाने जैन बनाने, सूरि फिर आना हो । टेर || अहिंसा का तत्व समझाने, जैन धर्म का मर्म बताने, हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे, फिर यूं कहेंगे ।। १ ।। हिन्दु मुस्लिम झगड़े बुझाने, फैले हुए अत्याचार मिटाने, हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे, फिर यूं कहेंगे ॥ २ ॥ राजाओं को बोध दिलाने, स्वराज्य का झंडा फहराने. हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे फिर यूं कहेंगे ॥ ३ ॥ इन्हीं गुरु के पाट परम्पर, सोहे गुरु श्री हित सुहंकर, हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे, फिर यूं कहेंगे ॥ ४ ॥ तस पद पंकज "हिम्मत" कहता, शिष्य " भव्यानंद" दिल में धरता, हीर गुरु के पैयां पड़ जायेंगे, फिर यूं कहेंगे ॥ ५ ॥ गायन नं० २ (तर्ज - सिद्धाचलना वासी - ) सूरि हीर ने सेवो भविया सुख जगद् गुरु को दिल में धारा, शासन वीर का चांद सितारा, For Private and Personal Use Only अपार ॥ देर ॥ ये गुणों के भंडार भत्रिया ॥ १ ॥

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