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तेरा गुरु है, मेरा गुरु है,
ठेका भी हो तो तुडाना पड़ेगा | हीर ॥ ९ ॥
शाह अकबर यों भाव बतावे,
हीरे का पाक खिलाना पड़ेगा ।। हीर ॥ १० ॥ चारित्र दर्शन गुरु चरणों में,
ध्यान का धूप जमाना पड़ेगा ।। हीर ॥। ११ ॥ काव्यम् - हिंसादि०
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मंत्र - ॐ श्री० धुपं समर्पयामि स्वाहा ॥ ४ ॥
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पंचम दीपक पूजा -: दोहा :
अब अकबर गुजरात में, भेजे मोदी कमाल | बोलावे गुरु हीर को, फतेहपुर खुशहाल ॥ १ ॥ संवत सोलसो चालिसा, आये श्री गुरु हीर | बने गुरु उपदेश से, धर्मी अकबर मीर ॥ २ ॥
( ढाल ५ )
( तर्ज - घडी धन्य आज की सब को, सब को मुबारक हो ) इसी दुनिया में है रोशन, “जगद्गुरु" नाम तुम्हारा | ढेर | कई को दीनी जिन दीक्षा, कई को ज्ञान की भिक्षा । कई को नीति की शिक्षा, कई का कीना उद्धारा || इसी ॥१॥ लंकापति मेघजी स्वामी, अट्ठाइस शिष्य सहगामी । सूरि चेला बने नामी, करे जीवन का सुधारा || इसी ||२|| कीड़ी का ख्याल दिलवाया, अजा का इल्म बतलाया । मुनि का मार्ग समझाया, संशय सुल्तान का दारा || इसी ||३||
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