SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १०७ तेरा गुरु है, मेरा गुरु है, ठेका भी हो तो तुडाना पड़ेगा | हीर ॥ ९ ॥ शाह अकबर यों भाव बतावे, हीरे का पाक खिलाना पड़ेगा ।। हीर ॥ १० ॥ चारित्र दर्शन गुरु चरणों में, ध्यान का धूप जमाना पड़ेगा ।। हीर ॥। ११ ॥ काव्यम् - हिंसादि० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंत्र - ॐ श्री० धुपं समर्पयामि स्वाहा ॥ ४ ॥ -SME पंचम दीपक पूजा -: दोहा : अब अकबर गुजरात में, भेजे मोदी कमाल | बोलावे गुरु हीर को, फतेहपुर खुशहाल ॥ १ ॥ संवत सोलसो चालिसा, आये श्री गुरु हीर | बने गुरु उपदेश से, धर्मी अकबर मीर ॥ २ ॥ ( ढाल ५ ) ( तर्ज - घडी धन्य आज की सब को, सब को मुबारक हो ) इसी दुनिया में है रोशन, “जगद्गुरु" नाम तुम्हारा | ढेर | कई को दीनी जिन दीक्षा, कई को ज्ञान की भिक्षा । कई को नीति की शिक्षा, कई का कीना उद्धारा || इसी ॥१॥ लंकापति मेघजी स्वामी, अट्ठाइस शिष्य सहगामी । सूरि चेला बने नामी, करे जीवन का सुधारा || इसी ||२|| कीड़ी का ख्याल दिलवाया, अजा का इल्म बतलाया । मुनि का मार्ग समझाया, संशय सुल्तान का दारा || इसी ||३|| For Private and Personal Use Only
SR No.034238
Book TitleJagad Guru Hir Nibandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyanandvijay
PublisherHit Satka Gyan Mandir
Publication Year1963
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy