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एक यह भी विचार करने की बात है कि एक पक्षी को मारने वाला एक जीव का हिंसक नहीं है किन्तु अनेक जीवों का हिंसक है, क्योंकि जिस पक्षी की मृत्यु हुई है, यदि वह स्त्री जाति है और उसके छोटे छोटे बच्चे हैं तो वे मां के मरजाने से क्या जिन्दा रह सकते हैं ? कभी नहीं, एक और सोचने की बात है कि खुदा दुनिया का पिता है, तब दुनियां के बकरी, ऊंट, गौ वगैरह सभी प्राणियों का वह पिता हुआ तो फिर वह खुदा अपने किसी पुत्र के मारने में खुश किस तरह होगा ? अगर होता हो तो उसे पिता कहना उचित नहीं है। इसीलिये बकरी ईद के रोज जो मुसलमान लोग हिंसा करते हैं कितना अत्याचार करते हैं ?
अहिंसा ही समस्त अभीष्ट वस्तुओं को देने वाली है, प्राणियों के वधबंध आदि क्लेशों को करना जो नहीं चाहता है वह सब का शुभेच्छु अत्यन्त सुख रूप स्वर्ग अथवा मोक्ष को प्राप्त करता है, एवं जो पुरुष डांस मशकादि सूक्ष्म अथवा बड़े जीवों को नहीं मारता है वह अभिलषित पदार्थ को पाता है और जो भी करना चाहे वह कर सकता है। अहिंसावादी प्रतापी पुरुष जिस चीज का विचार करें वह चीज अनायास एवं तुरन्त ही मिल जाती है। ___ जो पुरुष सब प्राणियों में अपनी आत्मा के समान वर्ताव करता है वही पण्डित है, गौ, भैंस, बकरी वगैरह और सब प्रकार के पक्षी, वनस्पति और खटमल, मच्छर, डांस, जुआ, लीख वगैरह समस्त जन्तुओं की जो मनुष्य हिंसा नहीं करते हैं वे ही शुद्धात्मा और दया परायण सर्वोत्तम है। बहुत से साधुजन अपने जीवन की मूर्छा मोह छोड़कर निज मांस के द्वारा दूसरों के मांस की रक्षा करके उत्तम गति को प्राप्त हुए हैं । अहिंसा सब प्राणियों की हित करने वाली माता के समान है और अहिंसा ही संसार रूप मरु देश में अमृत की नाली के तुल्य है, तथा दुःख रूप दावानल को शान्त करने के लिये
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