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१९. अधूरी पूजा
दुःख हर सुख कर नवकार !
जाने का निमंत्रण आ गया है। अतिन्म घड़ियाँ बिती जा रही हैं। किस श्वास में प्राण चले जायेंगे। उसकी कोई खबर नहीं ? अब थोडे ही श्वास बाकी गजको रहे लगते हैं।
नाथ !
मैं तुम्हें पूर्ण रूप से पहचान न सका।.. तुम्हारी पूजा भी पूरी न कर सका। अधूरी पूजा के साथ जाता हूँ। न जाने मुझे कौनसा स्वाँग मिलेगा ?... प्रियतम प्रभो!
आशीर्वाद दो कितेरी पूजा मिले ऐसा ही स्वाँग मिले । तेरी अधूरी पूजा को पूरी कर सकूँ ऐसा भव....जन्म मिले। तुम्हारी पूजा की प्रतिज्ञा अधुरी रह गयी। इस बोझ से मैं दबा जा रहा हूँ। मैंने तुम्हारी अखण्ड अक्षत से आरती नहीं की। तेरे सन्मुख ताजे फल धरे नहीं। सुगंधी नैवेद्य चढाया नहीं।
हे नवकार महान
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