Book Title: He Navkar Mahan
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Padmasagarsuriji

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Page 115
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सब भाव हम अपने लिये अमानत रखते आये हैं। * जिसके आँगन में मोर नाचता हो, उसके घर में सर्प प्रवेश नहीं कर सकता। उसी प्रकार जिसके हृदय में नवकार बसता है, उसके । जीवन पर अशभ बल आक्रमण नहीं कर सकत । * जनेता के वात्सल्यमय कोमल स्पर्श से जिस प्रकार बालक शांत और प्रसन्नता का अनुभव करता है। उसी प्रकार 'नवकार' रूपी माता के गोद में खेलते बाल साधक शांति और प्रसन्नता अनुभव करते हैं। * पतंगा यदि एक बार दीपक की ज्योति देख लेता है तो वह पीछे हटने का नाम नहीं लेता। उसी प्रकार हमें 'नवकार' के समीप चले जाने के पश्चात् पीछे नहीं हटना चाहिये। * कोई भी कार्य करने से पूर्व यदि 'नवकार' का स्मरण किया होगा तो आपत्ति पास नहीं फटकेगी और आ भी जाये तो समझना चाहिये कि वड़ी विपत्ति आनेवाली थी, लेकिन 'नवकार' के प्रताप से वह हल्की फुल्की हो गयी है। * तलहटी में खडा मानव क्रोधवश हो गिरिशिखर पर खडे मानव को पत्थर नहीं १०२ हे नवकार महान For Private And Personal Use Only

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