Book Title: He Navkar Mahan
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Padmasagarsuriji

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Page 120
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुणारोपण श्री 'नवकार' के चरण ग्रहण करने के पूर्व अनादि दोषों का- दासीकरण करना होगा। सत्त्व गुणों के बीजारोपण के लिये हृदय भूमि में शुद्धि और निर्मलता का वातावरण सर्जन करना पड़ेगा। तत्पश्चात् ही हम श्री 'नवकार' को पदार्पण का आमंत्रण दे सकेंगे। श्री 'नवकार' के उत्तरोत्तर पदार्पण के पश्चात् भी दो कार्य चालू रहेंगे जिससे, उसमें उन्नति होती जायेगी। शीघ्रातिशिघ्र दोष विलीनीकरण को प्राप्त होंगे और त्वरित गति से गुण-पुष्प विकासोन्मखता को पायेंगे। दोषों के विलीनीकरण द्वारा होती हई निर्मलता और गुण-पुष्पों के विकासीकरणता के माध्यम से प्रसारित मृदु सौरभ का आनन्द साधक के सिवाय भला कौन अनुभव कर सकता है ? साधना द्वारा यह सब सदा सर्वदा संभव है शक्य है ! हे नवकार महान ! २०७ For Private And Personal Use Only

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