Book Title: He Navkar Mahan
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Padmasagarsuriji

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Page 107
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपने दोनों भव बिगाडता है ! * 'नवकार' का प्रेम प्राप्त करने का ही प्रयत्न करना चाहिये ! * 'नवकार' के प्रति जो नतमस्तक नहीं उसे लोगों के समक्ष नतमस्तक होना पडता है ! * जो तुम्हें चाहिए पहले वह 'नवकार' को अर्पण करो ! * 'नवकार' की तरफ जितना बढोगे उतने ही प्रमाण में दुख दूर होंगे ! * 'नवकार' के प्रति अभिमुख बनो, आपके क्लेश मिट जायेंगे ! * यदि हाथ में हो नवकार का प्रकाश ! तो कभी न होंगे जग में निराश ! * दुख आता है तब किसी के पास रोने की अपेक्षा 'नवकार' के पास रोने से ज्यादा लाभ होगा! * 'नवकार' का चिंतन करने से वह सदा सर्वदा आपके साथ रहेगी ! * 'नवकार' के वास्तविक ज्ञान से मनुष्य का स्वभाव बदल जाता है ! पूर्व में सूर्य उदय होता है तब तारे अस्त हो जाते हैं । ठीक उसी प्रकार हृदय में जब 'नवकार' का उदय होता है तब विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं ! * श्रद्धालु जीव अपने जीवन में कुछ भी प्राप्त हे नवकार महान For Private And Personal Use Only

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