Book Title: He Navkar Mahan
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Padmasagarsuriji

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Page 108
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org न होने पर भी अपनी श्रद्धा नहीं छोडते ! * 'नवकार' के संग सब आनन्दमय है और उसके बिना सब दुखमय है ! * शांत भाव से सुखी रहना यह 'नवकार' की तरफ बढने का सुन्दर मार्ग है । * सकाम जाप मानव की काम इच्छा पूरी करता है और निष्काम जाप काम... . विषय वासना को जलाकर खाक कर देता है ! छोटे २ प्राणियों से जो प्रेम नहीं कर सकता वह भला 'नवकार' से क्या प्रेम करेगा ? * 'नवकार' के प्रति अन्तःकरण पूर्वक समर्पण करना यही अपने क्लेशों से मुक्ति पाने का वास्तविक मार्ग है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * 'नवकार' का ऐसा ध्यान धरो कि * जागृत, स्वप्न, सुषुप्तादितीनों दशाओं में याद आवें । * यदि 'नवकार' के साथ प्रेम रखना है तो हमें अन्य आसक्तियों से दूर रहना होगा । * 'नवकार' प्रति की श्रद्धा के लिये भूलकर भी बाहय संयोगों के ऊपर आधारित नहीं होना चाहिये । * यदि 'नवकार' को समझना हो तो अपनी पसंदगी और पूर्वाग्रह दूर रखो । पसंदगी और पूर्वाग्रह जड के पुत्र हैं । हे नवकार महान For Private And Personal Use Only

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