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इसलिये “सकल विश्व का कल्याण हो आज' भावना रूपी निर्मल नीर से इसे धोकर स्वच्छ किया है। "बनो सर्व सज्ज परहित के काज" के पुरुषार्थ द्वारा इसको घिस घिस कर का मसृण-सुकोमल किया है। ELETE "सब जीवों में मित्रता प्रसारित करूँ" रीन के सुगंधित धूप द्वारा मन मन्दिर के वातावरण को शुद्ध और सुवासित किया है। " नहीं रे किसी के साथ में अब बैर धरूं" TE के गुलाबजल का मन मन्दिर में सब जगह र अन्तर-बाहय छिडकाव किया है। पानी प्रभो! अब तुम्हारी प्रतिष्ठा करूँगा। आशातना की मुझे कोई भीति नहीं। मन-मन्दिर में तुम्हारी प्रतिष्ठा कर प्रति दिन मंजुलघोषा-वीणा लेकर तेरे सम्मुख गीत गाने बैठेगा। माला लेकर जप जाप करूंगा।
यह पद्मासन लगाकर ध्यान धरूंगा। अन्त में नवोढा मुग्धा बाला की भाँति की जीवितेश्वर प्रभो! तेरे मुख को निनिमेष नेत्र से टकटकी लगाकर देखता रहूंगा।
बाबा
हे नवकार महान
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