Book Title: He Navkar Mahan
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Padmasagarsuriji

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Page 100
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नवकार ! सतनाम !! रसखान !!! Be बस इसमें मिल जा तो अमर होगा तुम्हारा नाम ! www.kobatirth.org ७५. शरद पूर्णिमा आज शरद पूर्णिमा की रात है ! निरभ्र - निश्चल आकाश में चन्द्र के दर्शन कर मेरे प्राण पुनः चंचल हो उठते है ! और सोचता हूँ : मुझे तेरे चरणों में स्थान मिलेगा ? हे नवकारे महान प्राणपति नवकार ! क तभी तुम्हारा सच्चा स्वरूप देख सकूंगा ? मेरे नयन तेरे नयनों को अनिमेष - अपलक देख सकेगें ? ४ फिर सोचता हूँ : मेरे पश्चाताप के आँसु तुम्हारे चरणों को चिरकाल स्पर्श करने की आज्ञा तो अवश्य प्राप्त कर सकेंगे । एक Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॐ प्यार कि क 6702 For Private And Personal Use Only ८७

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