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यदि किसी रूपवती, यौवनवंती नारी का चित्र मिल जाए तो -
मानो तीन लोग का साम्राज्य ही हाथ लग गया ! इन्हें आपके उपदेश पढना अच्छा नहीं लगता विषय की कथा और काम रति के गीत अच्छे लगते हैं । नयनातीत शंभो !
ये नयन आपके रूप को देख सकें. और आपके उपदेश को पढ सकें. इतनी ज्योति इनमें अवश्य भर देना । क्यों कि बाकी सब निःसार और असार है ।
६६. अश्राव्य
श्रवणातीत स्वामिन् नवकार !
मेरे कर्ण युगल विकथा, निन्दा सुनने के प्यासे हैं !
उन्हें तेरे त्याग और विराग की बातें सुननी अच्छी नहीं लगती, पसन्द नहीं आतीं ।
रात दिन, आठों प्रहर, चौसष्ठ घड़ी काम - कथा सुननी । ही प्रिय लगती है ।
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हे नवकार महान