Book Title: He Navkar Mahan
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Padmasagarsuriji

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Page 47
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भवों-भव सदा मिलती ही रहे । और उसका वियोग कभी न हो । २९. महा सागर के मोती TUN विश्वेश्वर नवकार ! एक दिन मैं किसी अज्ञात महासागर के तट पर जा पहुँचा था तो तट ही परन्तु निर्मल नीर से भरपूर शीतल और गहरा । मुझे याद आया कि सागर के तल में मोती होते हैं । आँख मूंदकर एक डुबकी लगा दी । सागर के तल से मुट्ठी में कुछ ले आया खोल कर देखा तो चार मोती निकले: 'मैत्री, प्रमोद, करुणा और माध्यस्थ' ये उनके नाम । मोह संवरण न कर सका और लगा दी दूसरी डुबकी 'उदारता, सदाचार, इच्छा-निरोध और सद्विचार' चार बहुमूल्य मोती की और खरात मिलीं । ३४ हे नवकार महान For Private And Personal Use Only

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