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ग्रंथांक
१६७
१६८
प्रत नाम
(पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम
मोक्षगामी गणधरों का वर्षमान
(पे.३) मूलशुद्धिटीकागताकालिकाचार्यकथा
कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता (पे.४) दीपावलीकल्प
काव्यानुशासन सटीक किञ्चिदपूर्ण टीप्पणीसह
काव्यानुशासनसूत्र
काव्यानुशासन सूत्र अलङ्कारतिलक टीका
काव्यानुशासनसूत्र-टिप्पणी दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्र स्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि (पे. १) दशवैतालिक
दशवैकालिकसूत्र
(पे. २) पक्खिसुत्त
पाक्षिकसूत्र
(पे.३) परचूरन मांगलिक स्तुतियां
मङ्गलपाठ स्तुति
(पे. ४) पञ्चपरमेष्ठि स्तुति
स्थिति
कर्ता
देवचन्द्रसूरि
श्रेष्ठ
वाग्भट
(दिगम्बर)
वाग्भट (दिगम्बर)
श्रेष्ठ
शय्यम्भवसरि
(पाताहेसं) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार हेमचन्द्राचार्य संघभंडार पूर्णता
प्रत प्रकार
प्रतिलेखन वर्ष पत्र
रचना वर्ष
भाषा
प्रा.
सं.
संपूर्ण
सं..
सं.
सं.
संपूर्ण
प्रा.
प्रा.
सं..
परिमाण
ग्रं. ३९५
ताडपत्र
ताडपत्र
ग्रं. ७००
ग्रं. ३५०
वि. ११४६
195
आदिवाक्य
अस्थि इहेव जम्बू
गुरोः श्रीवर्द्धमानस
१८९
यथा च कर्पूरधूलि .....
५२
धम्मो मङगलमुक्किट्ठ
तित्थङ्करे य तित्थे
नम्रामरेश्वरकिरीट
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार
गद्य
पद्य
९/१८ (५६)
गद्य
गद्य
गद्य
९/१८ (७२)
संयुक्त प+ग
संयुक्त प+ग
पद्य
पद्य
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष
(पे. पृ. १०३B- १३४B) पे. वि. कथानक संख्या३६५. ग्रन्थाग्र-४३४.
कृ. वि. ग्रंथाग्र ३६० थी ४०० सुधी मळे छे.
(पे. पृ. १-१२) पे.वि. अपूर्ण अन्तनो पत्र नथी. श्लोक-१३८ सुधी छे. आ पत्रो कोई बीजी प्रतनुं लागे छे. एकज पत्र नो बे वखत झेरोक्ष थएल छे, परन्तु झे. पत्रांक ६१ अने ६२ क्रमसर आपेलु छे.
प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है., (१३४२ )
(पे. पृ. १-३६A) पे.वि. अपूर्ण अध्ययन १ से ३ नहीं है. झेरोक्ष पत्र १-१७.
2
(पे. पृ. ३६B-५२) पे. वि. संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र- १८२४.
(पे. पृ. ?) पे.वि. अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २६ न होने
से कृतियाँ स्पष्ट नहीं हुई है. इसके अन्दर लगभग ३-४ स्तुतियाँ हैं.
(पे. पृ. ?) पे.वि. अपूर्ण. श्लोक-४ तक है. झेरोक्ष पत्र-२५ पर है,