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(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रतिलेखन वर्ष: पत्र
स्थिति
पूर्णता
प्रत प्रकार
ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
भाषा
परिमाण
रचना वर्ष
आदिवाक्य
गद्य
सं. प्रतिपूर्ण
(६)................
श्लोक-१७१.११.०४४......
संपूर्ण
कागज .....वि. १५मी.. अध्याय १२प्रका कागज
वि. १६०३ ग्रं.२६४४ कागज
वि.१७मी
ग्रन्थान-२५५४., (११.५४४.२).
संयुक्त प+ग
संपूर्ण
नमो दुर्वाररागादिवर. ४४
सुयं मे आउसं तेणं :१२३
सुर्य में आउसं तेणं इह हि रागद्वेषमोहा....
(११.७X४.५)
ग्रं.२६४४
सयुक्त प+ग
:गया
संपूर्ण
१८३
वाग्भटालङकार
वाग्भट (दिगम्बर) वाग्मटालड़कार-टीका
जिनवर्धनसुरि १०४०६ । योगशास्त्र पञ्चमप्रकाश,
जीर्ण योगशास्त्र
हेमचन्द्रसूरि १०४०७ आचारागसूत्र
जीर्ण
सुधर्मास्वामी १०४०८ आचारागसूत्र सावचूरि पञ्चपाठ मध्यम आचाराडगसत्र
सुधर्मास्वामी आचारागसूत्र-अवचुरि १०४०९ | आचारागसूत्र दीपिका
जीर्ण आचारागसूत्र-दीपिका टीका
जिनहंससार १०४१० सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति
श्रेष्ठ सूत्रकृतागसूत्र-वृत्ति
शीलाबकाचाये १०४११ सूत्रकृताङ्गसूत्र प्रथमश्रुतस्कन्धपर्याय मध्यम
सूत्रकृताडगसूत्रपर्याय १०४१२ समवायाङ्गसूत्रवृत्ति
श्रेष्ठ समवायाङ्गसूत्र-वृत्ति
अभयदेवसूरि ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रवृत्ति
मध्यम ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र-वृत्ति
अभयदेवसूरि १०४१४ अन्तकृदशाङ्गसूत्र
मध्यम
वि. १५८७
वि. १५७३. । वि. १७मी
शासनाधीश्वरो जीयाद
गद्य
कागज ग्रं. १०५०० कागज. ग्रं. १२८५३ कागज
(११.५४४.७) विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रन्थान-१३८५३...११.५४४.५..
संपूर्ण
१२९ स्वपरसमयार्थसूचक
(१२९....... गद्य (२७)
वि.१६२७
(११.२४४.५)
प्रतिपूर्ण मारुगुर्जर संपूर्ण
गद्य
कागज
ग्रन्थाग-३७५०.. (११.५४४.५).
वर्द्धमानमानम्य सम
गद्य
१०४१३
संपूर्ण
ग्रं.३५७५ कागज ग्र.४३६६
वि. १५९८ वि. ११२० वि. १६मी. वि. ११२० वि. १५५४
८९
नत्वा श्रीमन्महावीरं
संपूर्ण
.८..............: ग्रन्थाग-३८००...(११.७४४.७). गद्य (२०)
ग्रन्थान-१९०. प्रति चोटी जवाथी अक्षरो उखडी गया छे.. (११.७४.५)
कागज
१९
सुधास्वामी
गं.८९०
तेर्ण कालेणं तेणं
1 १०४१५
अनुत्तरोपपातिकदशाङगसूत्र...
मध्यम
संपूर्ण
कागज
वि. १५५४.
५.
..............
ग्रं. १९२
तेणं कालेणं तेणं
सुधमास्वामी जीर्ण
संपूर्ण
वि. १६मी...
२
(८३)..............ग्रन्थान-५६३०.. (११.५४४-५)..
अभयदेवसूरि
गं.४६३०
१०४१६ । प्रश्नव्याकरणागसूत्रवृत्ति
प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्ति १०४१७। विपाकसूत्रवृत्ति
विपाकसूत्र-वृत्ति
मध्यम
वि.१६मी
(११.७४४.५)
संपूर्ण सं.
:(१०).. गद्य
.............
अभयदेवसूरि
ग्रं.९००
नत्वा श्रीवर्दमाना
466