Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 526
________________ ग्रंथांक स्थिति पूर्णता प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाकर क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष का प्रा. प्रा. ग्रं.५० इच्छामि पडिक्कमिट (पे.२५) क्षामणकसूत्र (पे.२६) पगामसज्झाय (पे.२७) लघुपाक्षिकअतिचार ... (पे.२८) एकविंशतिस्थानप्रकरण (4.पू.८९-१०४) (पे.पू. १०४-१०८) (पे.पू. १०८-१०९ (पे.पृ. ११०-११३) पे.वि. : गाथा-६४. मारुगर्जर सिद्धसेनसूरि चवण विमाणा नयरी जणया प्रा.मारुगुर्जर मारुगुर्जर मानदेवसरि स गा.१७ शान्ति शान्तिनिशान गा.१४ तिजयपहत्त. (पे.२९) श्रावकआराधनाप्रकरण (पे.३०) बोलसङ्ग्रह (पे.३१) लघुशान्तिस्तोत्र (पे.३२) तिजयपहुत्तस्तोत्र (पे.३३) कलिकुण्डपार्श्वनाथमन्त्र .. (पे.३४) शडखेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र... (पे.३५) बृहत् शान्तिस्तोत्र (पं.३६) गुरुपरम्परास्तुति .(१.३७) साधुगुणकुलक (पे.३८) इगुणतीसीभावना (पे.३९) पार्श्वनाथस्तोत्र (पे.४०) कयवन्नाविवाहलुं (पे.पृ. ११४-११७) (पे.प्र. 999-११९) (प.. ११९-१२०० मे.वि. : आर्या-१७.... (पे.पू. १२०-१२१) पे.वि. : श्लोक-१४.... (पे.पू. १२१).. (पे.पू. १२१म.. (प.पू. १२१-१२३). (प.पू. १२३-१२१). (पं.पू. १२५:१२६... (पे.पू. १२६-१२८). (पे.पू. १२८-१२९) (पे.पृ. १२९-१३१) [कृ.वि. : भाषा-अपभ्रंश प्रधान शान्तिसूरि वादिवेताल भो भो भव्याः श्रुणुत पद्य गा..२४ गा.२९ पद्य पद्य अपभ्र का.९ श्रीपार्श्वनाथ भवतोय मारुगूर्जर मारुगजर मारुगूर्जर मारुगूर्जर...गा..१५. : मारुगजेर श्लोक ७३ मारुगर्जर गा.४१ (प.४१) नेमिनाथ धवल (पे.४२) आर्द्रकुमारधवल (पे.४३) शबरीभास (पे.४४) बुद्धिरास... (पे.४५) जीराउलारास (पे.४६) नेमिनाथधूल-धवल. (पे.४७) धर्मप्रभगुरुविवाहलु (पे.४८) धर्मप्रभसूरिधुल-धवल (पे.४) सकलाईतस्तोत्र (पे.५०) नन्दीश्वरस्तवन गा.७ मारुगूर्जर मारुगूर्जर मारुगुर्जर (प.पू. १३१) (प.पू. १३१-१३५)... (4...१३५-१३७ (प.पू. १३७-१४२) मे.वि. गाथा-५७... (पे.पू. १४२-१४६) पे.वि. : कडी-७. (पे.पू. १४६-१४४७). पं.वि. : कडी-७... (4.पू. १४७ (पे.पृ. १४-१४८) (प.पू. १४८-१५०० पे.वि. : श्लोक-२४. (पे.पृ. १५०-१५१) पे.वि. गाथा-११. [कृ.वि. : भाषा अपभ्रंश प्रधान मारूगूर्जर). श्लोक २४.२६. सकलार्हत्प्रतिष्ठान अपी . गा.११

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