Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 563
________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति पूर्णता प्रत प्रकार ग्रंथांकप्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता भाषा परिमाण रचना वर्ष क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (८) आदिवाक्य संपूर्ण कागज । वि. १५७३ गा.११६ :आबाल बम्भयारि नेमि पद्य पच १४८७६ शीलोपदेशमाला,धर्मलक्ष्मीमहत्तराभास मध्यम (ये.) शीलोपदेशमाला... जयकीर्तिसूरि (पे.२) धर्मलक्ष्मीमहत्तराभास..... आनन्द १४८७७ योगशत अपूर्ण वैद्यक ग्रन्थ योगशत वैद्यकग्रन्थ १४८७८ कुमारसम्भवमहाकाव्य सावरि जीर्ण पञ्चपाठ सप्तमसर्गपर्यन्त मारुगूर्जर संपूर्ण (१२४४.५) (पे.पू. १-७) (पे.पू. ..वि.: गाथा-१३-१७.. । (१२.५४५ आर्या-२३ :(१२.५४४.७) जीर्ण :कागज वि. १७मी (२४). प्रतिपूर्ण कागज वि.१६मी (३९) कालिदास कुमारसम्भव कुमारसम्भव-अवचरी ओघनियुक्ति गद्य १४८७९ वि.१६३० (२८) गाथा ११६५ आपेल छ..(१२.२४५) गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहुस्वामी गा. ११६३ग्रं. दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य १४२ घडावश्यकसुत्रसस्तबक कागज । वि. १६मी. : (१३४४.७) (१२) नमो अरहन्तार्ण नमो. : संयुक्त प+ग श्रावकषडावश्यकसूत्र ------------ श्रेष्ठ संपूर्ण प्रा.सं. मारुगर्जर श्रेष्ठ संपूर्ण शान्तिसूरि वादिवेताल सं.प्रा. जीर्ण कागज श्रावकषडावश्यकसूत्र-स्तबक. उत्तराध्ययनसूत्रवृहद्वृत्ति पाइयटीका उत्तराध्ययनसूत्र-बृहवृत्ति चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र... वि. १६मी ५०५ : शिवदाः सन्तु तीर्थेश लोक १३३४५ पद्य (१२.७४४.७) मूल साथे ग्रन्थान-१८०००. श्लोक संख्या १८५४ छे.(१२.५४५).. | १४८९० संपूर्ण कागज वि.१५५७ ४८ प्रा. ग्रं. १८३१ :गद्य जयति नवनलिणिकुवलयविय १५० मध्यम संपर्ण वि.१६मी । (१२.५४४.७) | १४८९२ उत्तराध्ययनसूत्रचूर्णी उत्तराध्ययनसूत्र-चूर्णि कागज ग्रं. ५८५५ गद्य गापालिक महत्तर शिष्य मध्यम संपर्ण कागज वि.१४९८ (PE) .... पत्र ३२ मुं नथी..(१२.२४५). १४८९४ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूीसह. श्रावकप्रतिक्रमणसत्र श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-चूर्णि गा.५० विजयसिहसूरि । १४८९५ कल्पसूत्र मध्यम संपूर्ण ग्रन्थान-१२३६...(१२.२४५) भद्रबाहस्वामी जीर्ण श्लोक ४५९० : वि.११८३ : सिद्धं सिद्धत्थसुर्य कागज ......वि. १६मी....... ग्रं. १२८० नमो अरिहन्ताणं.. वि. १७मी ९५ 546 | १४८९६ ज्ञानार्णवसारोद्धार, टिप्पण ......... संपूर्ण कागज सयुक्त प+ग (९५) ............. (१२४५)

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