Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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ग्रंथांक
स्थिति
पूर्णता
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटॉक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
पि. पृ.१-४)
(पे. पृ.४-५)
(पे.१) उपदेश कुलक सह (मा.ग. स्तबक उपदेश कुलक उपदेश कुलक-टबार्थ (पे.२) नियाण कुलक सह (मा.ग.)स्तबक नियाण कुलक नियाण कुलक-स्तबक (पे.३) सज्जनचित्तवल्लभ सह (मा.गु.)स्तबक सज्जनचित्तवल्लभ सज्जनचित्तवल्लभ-स्तबक दान शील तप भावना स्वाध्याय सस्तवक
मारुगर्जर
(प.पृ.५-८)
: मल्लिषेणाचार्य
मारुगूजेर संपूर्ण
१८१३६
: मध्यम
कागज
:वि. १७मी
:(१०.२४४.२)
:दान शील तप भावना स्वाध्याय
:अशोकमान
गा.४७
देवाहिदेवं नमिरुण
मारुगर्जर
मध्यम
संपूर्ण
कागज
(१०.५४४.५)
मारुगर्जर
श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागज.......... वि. १९४४.३७
(१०.७X५.२
दान शील तप भावना स्वाध्याय-स्तबक १८१८१
: संवरकुलक सस्तबक संवरकुलक
संवरकुलक-स्तबक १८२२४ : आप्तमीमांसा सटीक
आप्तमीमांसा
आप्तमीमांसा-टीका १८७०५ दर्शनकुलक सावचूरि पञ्चपाठ अपूर्ण
दर्शनकुलक
दर्शनकुलक-अवचूरि १८७८९
कातन्त्रव्याकरण वृत्ति
वसुनन्दी (दिगम्बर) श्रेष्ठ
प
वि.१७मी
मध्यम
संपूर्ण
कागज
वि. १५०५
पत्र ११मुं.२७मुं.३४, डबल छे. पत्र ३८मुं.३९मुं तथा ४७मुं तथा ६२थी ७१ पत्र नथी., (११४४.५)
देवदेवं प्रणम्यादी
कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवत्ति १९५०७ : देववन्दनादि भाष्यत्रयावचूरि
जीर्ण
कागज
१०
.............(१०.५४४.५).
वि. १६मी 561

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