Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रतिलेखन वर्ष पत्र
स्थिति
पूर्णता
प्रत प्रकार
ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
परिमाण
रचना वर्ष
आदिवाक्य
(पे. पू. १२-४२)
(पे.३) योगशास्त्र प्रकाश५-१२ योगशास्त्र (पे.४) बृहत्सङ्ग्रहणीप्रकरण
हेमचन्द्रसूरि
: नमो दुर्वाररागादिवैर
अध्याय १२प्रका गा.३७८
पद्य
(पे.५) भक्तामरस्तोत्र
मानतुङ्गसूरि
का.४४
भक्तामरप्रणतमौलिमणि
पद्य
(पे.पृ. ४३-६१) पे.वि. : गाथा-३०८. [कृ.वि. : गाथा २७१ थी ३८३ सुधी मळे छे] (पे.पृ. ४२-६५) पे.वि. : का.४४. [कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे] (ये.पृ. ६५-६९) पे.वि. : का.४४.
(पे.६) कल्याणमन्दिरस्तोत्र
सिद्धसेन दिवाकर
का.४४
कल्याणमन्दिरमुदारमव
:पद्य
सरि
का.२५
पद्य
का.१६
रत्नाकरसूरि जयतिलकसूरि जयतिलकसूरि जयतिलकसूरि
का.९
(पे.) रत्नाकरपच्चीशी (प.८) पाश्वनाथस्तवन मन्त्राधिराज (पे.९) शान्तिनाथस्तवन (पे.१०) महावीरस्तवन (2.99) प्रभातकुलक (ये.१२) भयहरस्तोत्र
पद्य
का.१०
पद्य
श्लोक १३
पद्य
(मे.पू. ६९-७१) पे.वि. : का.२५. (प.पू.७१-७२) (4.पू. ७२) (पे.पू. ७२-७३).. (प.पू.७३-७४/... (ये.पृ. ७४९) ये.वि. : अपुर्ण.कृ.वि. : गाथा २१
थी.२४ मळे छे.. (ये.पृ. ७५-७६) (प.पृ. ७६-७२)
मानतुङ्गसूरि
गा.२३
:प्रातरेव समुत्थाय । नमिऊण पणयसुरगणचूडामण कः खलु नालड़िक्रयते जयइ जगजीवजोणी....
पद्य
विमलसार
का.२८ गा.५०
: पद्य पद्य
देववाचक
(पे.१३) प्रश्नोत्तररलमालिका (ये.१४) नन्दीसूत्रनो हिस्सो स्थविरावली (ये.१५) अजितशान्तिस्तोत्र
नन्दिषेण
गा.४०
अजिर्य जियसब्बभयं
पद्य
गा.८. :का.२७
सोम
BEEFFFFFERE
गमअवयारि सोहम्मसुर पद्य जनेन येन क्रियते ।
पद्य
पद्य
श्लोक
(पे.१६) लघुअजितशान्तिस्तव ... (पे. १७) चतुर्विंशतिजिनस्तुति ..... (पे.१८) सिद्धाचलस्तुति (ये.१९) महावीरस्तुति (पे.२०) सप्ततिशतजिनस्तुति (ये.२१) नन्दीश्वरस्तुति (पे.२२) आदीश्वरस्तुति (मे.२३) पञ्चतीर्थीस्तुति ... (पे.२४) पाक्षिकसूत्र
का.४
(पे.प्र. ७९-८३) पे.वि.: गाथा-४७.कृ.वि. : गाथा संख्या ३८ थी ४७ सुधी मळे छे] (मे.पू..43:452 पे.वि... गाथा-९.. (प.पू.८४-८६). (प.पू. ८६
ये...45-492 (पे.पू. ८७) (पे.पृ.८७ (पे.पू. ८) पे.वि..: अपूर्ण... (पे.पू. ८९म) मे.वि. : त्रुटक..
.पू. ८९-१०४).
का.४
का.४
पद्य
गा.x
पद्य संयुक्त प+
ग
ग्रं.३५०
:तित्थडकरे य तित्थे
ये
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