Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 527
________________ ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे. ५१) महावीरविनती (पे. ५२) सीमन्धरजिनस्तवन (पे. ५३) धर्मप्रभगुरुगुणमाल (पे.५४) दाङ्गडउ (पे. ५५) दशपच्चक्खाण (पे. ५६) नवखण्डापार्श्वनाथवीनती (पे.५७) कुसुमाञ्जली १२१३२ शत्रुञ्जयचैत्यपरिपाटी १२१३३ | आदिजिनस्तुत्यादिसङ्ग्रह (पे. १) शत्रुंजयआदिस्तुतिसग्रह आदिजिनस्तुति-शत्रुञ्जयमण्डन (पे. २) पार्श्वजिनस्तुति (पे.३) सामान्य जिनस्तुति सामान्यजिन स्तुति १२१३४ | गिरिनारतीर्थकल्प १२१३६ | गिरिनारमहातीर्थमण्डन नेमिजिनस्तवन तथा पार्श्वनाथपञ्चविंशिका (पे. १) नेमिनाथजिनस्तवन गिरिनारमहातीर्थमण्डन # (पे. २) स्तम्भनपार्श्वनाथस्तव १२१३७ पुण्डरीकस्तव स्थिति कर्ता शान्तिसूरि मध्यम जीर्ण मध्यम सरस्वती जीर्ण सोमसुन्दरसूरि देवसुन्दर सुरि मध्यम लक्ष्मीसागरसूरि पूर्णता भाषा मारुगुर्जर अपभ्रं मारुगुर्जर अपभ्रं. प्रा. मारुगूर्जर मारुगूर्जर संपूर्ण सं. संपूर्ण सं. सं. संपूर्ण सं. संपूर्ण (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष सं. संपूर्ण सं. परिमाण गा. ८ गा. १८ गा. २९ गा. ८ कागज का. २६ कागज श्लोक ४ श्लोक ४ कागज का. २३ कागज का. १७ का. २५ कागज का. ११ वि.१६मी वि. १६मी वि. १७मी वि. १६मी वि. १५३४ 510 आदिवाक्य पद्य पद्य जहिं जिणधम्मु न जाणि पद्य नम्रन्द्रमण्डलमणीमय १ शैले शत्रुञ्जयाख्ये मायातुङ्गी निरासे. १ श्रीमद्रेवतकाभिधान स्फुरत्केवलज्ञान.. १ क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार श्रीशत्रुञ्जजयशैलराज गद्य पद्य पद्य (२) पद्य (२) पद्य पद्य पद्य (2) पद्य (२) पद्य पद्य (२) पद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष (पे. पृ. १५१-१५२) (पे.पू. १५२-१५४) पे.वि. कडी-८. (पे.पू. १५४-१५५) (पे. पृ. १५५-१५७) पे. वि. गाथा-३१. कृ. वि. भावनाकुलक भाषा अपभ्रंश, गाथा-२१ नुं पण समान आदिवाक्य छे.] (पे.पू. १५७-१६०) (पे. पृ. १६०) (कृ.वि. भाषा-अपभ्रंश प्रधान मागूर्जर] (पे. पृ. १६१मुं) [कृ.वि. भाषा-अपभ्रंश प्रधान मारूगूर्जर ] (१०.५४४.५) जीर्णप्राय (९.७x४) (पे. पृ. १) (पे.पू. १).. (पे. प्र. १) ( १०.२५४. ५) जीर्णप्राय, आदिः श्रीमदैवताभिधान. आदिः स्फुरत्केवलज्ञानचारु, (१०.२x४.२) (पे.पू. १) (पे. पृ. १) (१०x४. ५)

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