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स्थिति
पूर्णता
ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
प्रत प्रकार
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
: क्लिन/ओरिजिनल
डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार (५२४)
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
भाषा
१४७९९ गोमटसार त्रुटक अपूर्ण
अपूर्ण
कागज
वि.१७मी
९३९
पत्र १थी २३, ४०४ थी ५०४,५४३ थी ५५५, ६०४ थी ६०७, ६६७ थी ७२९ अने ९०९मुं नथी.,
दिगम्बर ग्रन्थ. : (१२.५४६)
संपूर्ण
कागजवि . १८मी
९६
गोमटसार १४८०१ : आश्रव-बन्ध-उदय-उदीरणा-सत्ता- :जीर्ण
भावत्रिभङ्गीविषयकयन्त्रो आश्रव, बन्ध, उदय, उदीरणा, सत्ता, भाव, त्रिभडगीविषयक यन्त्रो कालग्रहणविचार..
संपूर्ण
(११.२४५.२).
सं.प्रा. संपूर्ण
(४) पद्य (१०) पद्य
१४८०६ रसाउलओ-गाथाकोष
श्रेष्ठ
:गा.१४३ कागज गा.३५३
(११४४.७) दिपणी
मनिचन्द्र
श्रेष्ठ
संपर्ण
कागज
। वि. १८मी
(७.२४४.५)
१४८३६ सत्तररिसयजिनस्तवन
सत्तररिसय जिनस्तवन
मारुगुर्जर
गा.६५
पद्य
विशालसुन्दरसूरिशिष्य श्रेष्ठ अभयदेवसूरि
संपूर्ण
कागज
:(२००)
१४८४२ भगवतीसूत्र वृत्ति
भगवतीसूत्र-टीका १४८४३ : विशेषावश्यकमहाभाष्यवृत्तिसह
(१३.५४५.५)
:वि.१६मी वि. ११२८ वि. १५८५
ग्रं. १८६१६ ... कागज
२०० सर्वज्ञमीश्वरमनन्त ३९६
गद्य
संपूर्ण
(३९५)
पत्र ३७८मुं डबल छे. प्रथम पत्रमा चित्र छे.मूल : अने टीकार्नु परिमाण २८००० श्लोक प्रमाण छे.. (१३.५४५.२
विशेषावश्यकमहाभाष्य
जिनभद्र गणि
प्रा.
:गा.४१४
पद्य
क्षमाश्रमण
श्रीसिद्धार्थनरेन्द
गद्य
विशेषावश्यकमहाभाष्य-शिष्यहिता वृत्ति हेमचन्द्रसूरि मलधारी सं. १४८४४ प्रश्नव्याकरणाङ्गसूत्रवृत्ति
मध्यम
संपूर्ण
ग्रं.२८०००वि . ११७५ कागज
वि. १५८५
(८७)
ग्रन्थान-४१३०. प्रथम पत्रमा पांच आश्रव ने पांच संवरने सूचवतुं सुन्दर चित्र लागे छे., (१३.५४५.२-५२.२)
ग्रं.४६३०.............
गद्य
प्रश्नव्याकरणसूत्र-वृत्ति ...... :अभयदेवसूरि १४८४५ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिचूर्णी
श्रेष्ठ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-चूर्णी.......
संपूर्ण
३२
ग्रन्थान-१८६०.. (१३.५४५.२)..
कागज
वि. १५०२ ग्रं. १८६९.........
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