Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
View full book text
________________
ग्रंथांक
स्थिति
पूर्णता
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
का.११
श्रीस्तम्भनं पाश्वे
पद्य
सं.
का.७
पद्य
का.९
स
जय जय जगदानन्दन... श्रीऋषभवर्धमानी. विजयाजितशत्रुनन्दन..
का.८
श्रेष्ठ
संपण
कागज
वि.
मी
श्लोक ३२
(पे.१) स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र जिनसोमसूरि (पे.२) महावीरस्तोत्र
जिनसोमसूरि (पे.३) ऋषभ-वर्धमानस्तव
जिनसोमसूरि. (पे.४) अजितनाथस्तव तारणदुर्गमण्डन : जिनसोमसुरि कल्याणकस्तोत्र आदि (पे.१) कल्याणकस्तोत्र
आसराज (पे.२) गिरिनारस्तवन (पे.३) अर्बुदाद्रिजिनस्तवन ... (पे.४) बहतीर्थस्तवन (पे.५) स्तम्भनपार्श्वजिनस्तवन पाश्वजिनस्तव-क्रियागुप्त सावचूरि पञ्चपाठ त्रुटक आदि (पे.१) पाश्चजिनस्तव सह (सं.)अवचूरि
श्लोक
'EEEEEEEE
(4.पू.) (प.पू.).... (प.पू.... (पे.पू. १) (१०.२४४.५) (प.पू... (प.पू.) (पे.पू. १) (पे.पू. 2).. (पे.पू. १) (१०.५४४.५)
तिधिक्रमाज्जिनेन्द्र श्रीउज्जयन्तशलेश. अर्बुदाद्री युगादीशं कुल्पपाके युगादीशं..... स्तुवे श्रीस्तम्भनाम ७-१(१)-६
श्लोक ५
श्लोक
श्लोक
संपूर्ण
कागज
वि.१४८३
(पे. पृ.२जु) ये.वि. : पंचपाठ, त्रुटक. पत्र त्रुटक
नी
चरमजिन कल्याणा
(पे.प्र.रज) ये.वि. : पंचपाठ./
पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त पार्श्वनाथस्तव क्रियागुप्त-अवचूरि (पे.२) वीरस्तव क्रियागुप्त सह (सं. अवचरि वीरजिनस्तव क्रियागुप्त वीरजिनस्तव क्रियागुप्त-अवचूरि. (पे.३) कल्याणमन्दिरस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि कल्याणमन्दिरस्तोत्र
पे. पृ.२-४) पे.वि. : पंचपाठ.
सिद्धसेन दिवाकर
का.४४
कल्याणमन्दिरमदारमव
:ज्ञानसागरसरि
(प.पृ.४-५)
कल्याणमन्दिरस्तोत्र-अवचूरि (पे.४) भक्तामरस्तोत्र सह (सं.)अवचूरि पंचपाठ भक्तामरस्तोत्र भक्तामरस्तोत्र-अवचूरि
भक्तामरप्रणतमौलिमणि
कृ.वि. : अमुक प्रतोमा ४८ काव्य पण छे.
529

Page Navigation
1 ... 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582