Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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ग्रंथांक
स्थिति
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
पूर्णता भाषा
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कृति प्रकार संयुक्त प+ग (१७)
कल्पसत्र
ग्रं. १२८०
नमो अरिहन्ताणं...
भद्रबाहस्वामी श्रेष्ठ
:१०४७९:कल्पान्तवाच्य
कागज
वि. १६मी
:१७
:(१०.५४४.५)
कल्पसत्र-अन्तर्वाच्य
: संपूर्ण
प्रा.सं. संपूर्ण
१०४८० निशीथसूत्र
जीर्ण
कागज
वि.१६मी
(१७)
ग्रन्थान-८१५.. (१०.५४४.५).
भद्रबाहुस्वामी
गा.८१२
पद्य
१०४८१ : निशीथसूत्र .........
मध्यम
। कागज
......
वि. १६मी
जे भिक्खू हत्थकम्म २१ जे भिक्खू हत्थकम्म
(२१)
ग्रन्थान-८१५.१०.५४४.५).
संपूर्ण प्रा... संपूर्ण
भद्रबाहुस्वामी
गा..८१२
पद्य
:१०४८२ जीतकल्पसूत्र
कागज
वि.१६मी
प्रा.
गा. १०५.१३०
कयपवयणप्पणामो वोच्छं: पद्य
जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण
गाथा-१०४..(१०x४.५) हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी बखत परस्पर अस्पष्टताओ रहेल छे. (१०.५४४.२.
संपूर्ण
कागज
...........वि.१६मा.....
(६.....
१०४८३. श्राद्धजीतकल्प
आद्धजीतकल्पसूत्र १०४८४ आवश्यकनियुक्ति दीपिका
:श्रेष्ठ धर्मघोषसूरि जीर्ण
पद्य
संपूर्ण
वि. १५०६
१७६
(१७६)
:प्रति पाणीमां भीजाई जवाथी सहेज चोटी गई
छे., (१०.५४४.५)
श्रीआवश्यकसत्र
गद्य
आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनी दीपिका टीका: माणिक्यशेखरसूरि आवश्यकनियुक्ति अवचूर्णि
: मध्यम
१०४८५
संपूर्ण
कागज
: वि. १६मी
१३१
(१३१)
प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे., (१०.२४४.५
सं.
ग्र. ९००५
:गद्य
संपूर्ण
(४३)
वि. १४४० जयति इन्द्रियविषय वि. १६मी..४३ वि. १४४०.... वि.१६मी
पत्र २३, डहल छ., (१०.२४४.५) नियुक्तिनी अवचूरि?.... (१०.२४४.५)
सपूर्ण
५८
आवश्यकसूत्र-नियुक्तिनी अवचूर्णीज्ञानसागरसूरि १०४८६ / आवश्यकसूत्रावचूरि.
जीर्ण आवश्यकसूत्र-अवचूरि
:ज्ञानसागरसरि १०४८७ श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र वृत्तिसह
वन्दारुवृत्ति आवकषडावश्यकसूत्र आवकषडावश्यकसूत्र-वन्दारु वृत्ति : देवेन्टसरि ओघनियुक्ति
भद्रबाहुस्वामी
प्रा.सं.
गं.
go
मात्र प्रतिक्रमण ऊपर के षडावश्यक ऊपर?
नमा अरहन्ताण नमा संयुक्त प+ग वृन्दारुवन्दारक
(१६) दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य
संपूर्ण
कागज
गाथा-११६५. ग्रन्थान-१५००...१०.२४४.५ गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे.
प्रा.
। १०४८९
ओघनियुक्ति
गा. ११६३ग्रं. १४३२ कागज
.....: वि. १६मी
473
'
भ्रष्ट
संपूर्ण
५३
(५४)
गाथा-११६५, ग्रन्थान-१५००., (१०.५४४.७)

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