Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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ग्रंथांक
स्थिति
प्रणता
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
(पे.१९) सिद्धान्तसारोद्धार प्रकरण
चक्रेश्वरसरि
गा.२१३
(प.पृ. १६-२१)
अइविसमरागकेसरि नरिन सव्वविरएहिजे हिंसा
(पे.२०) पौषधविधिप्रकरण
चक्रेश्वरसूरि
प्रा.,मारुगुर्जर
गा. ९२
: पद्य
(पे.पृ.२१-२५) पे.वि. : उपधान पौषधविधि सहित. (पे.पू. २६-२९) पे.वि. : श्लोक-१२०... (पे..पू. २९-३2.........
गा.११९
धम्माधम्मवर जिय
गा. ७५.
वि. ११५५
पद्य
सिद्धो बुद्धो अणन्तो
नो वन्दिय तिजयसरन्ने पञ्चसमा पन्नत्ता
(पे...३१-३२) पे.वि. : ग्रन्थान श्लोक-00. (4.पृ.३२-३३) पे.वि. : ग्रन्थ श्लोक-५३.
ग्र.
(पे.२१) पदार्थस्थापना प्रकरण च क्रेश्वरसूरि (पे.२२) सूक्ष्मार्थसत्तरि सूक्ष्मार्थसप्ततिका
चक्रेश्वरसूरि (पे.२३) चरणकरणमूलोत्तरगुणप्रकरण चक्रेश्वरसूरि (पे.२४) सभापञ्चकप्रकरण
चक्रेश्वरसूरि देवोपत्तिस्वरूपप्रकरण (पे.२५) सूक्ष्मार्थसप्ततिका-टिप्पण चक्रेश्वरसूरि (पे.२६) आत्मतत्त्वचिन्ताभावनाचुलिका रत्नसिंहसूरि (पे.२७) आत्मानुशास्तिपञ्चविंशतिका ... रत्नसिंहसरि. (पे.२८) आत्मविज्ञप्ति
रत्नसिंहसूरि
43
श्लोक २४
IEEEEE
(प.पू. ३३-३६) (पे.पू. ३६मुं).. (पे.पू. ३६-३७)... (पे.पृ. ३७मुं)
श्लोक २५
गा.३०
पद्य
गा. ५६
पद्य
(प.२९) आत्मानुशासनकुलक (पं.३०) आत्महितकुलक (पे.३१) मनोनिग्रहभावनाकुलक (पे.३२) धर्माचार्यबहुमानप्रकरण (पे.३३) पर्यन्ताराधनाकुलक... (पे.३४) उपदेशकुलक (पे.३५) संवेगामृतपद्धति
रत्नसिंहसूरि रत्नसिंहसूरि रिलसिंहसरि. रत्नसिंहसूरि रलसिंहसूरि रलसिंहसूरि. रत्नसिंहसूरि
नत्वा जिनं समीचीनं कल्याणशस्यपायोदन्दुर.. प्राकृतः संस्कृतो जयजयभुवणदिवायर तिह सिरिधम्मसूरिसुगरूँ... नियगुरुपायपसाया नाउं: पद्य सिरिधम्मसूरिपहुणो पद्य नमिऊं गुरुपयपउमं सुहिओ वा दुहिओ वा ... चिन्तसु उवायमेयं शिष्याः श्रीधर्मसूरी
गा. ३२. गा.४४ गा.३४
गा.१६
पद्य
गा..२६. श्लोक ४३
(पे.पू. ३०-३९) रचना स्थल अणहिल्लवाडन (पे.पू. ३९-४०) (पे.पू. ४०-४१). (पे.पू. ४१-४२) (पे.पू. ४२मुं) (पे.पू. ४२-४३). (प.पू. ४३-४४) [कृ.वि. श्लोक-४० के बाद 'अयं अन्यकृतः ऐसा लिखा हुआ है.] (प.पू.४४-४६) (पे...४६-५०.. (पे.पू. ५०-५१) (१०x४.५)
पय
गा. १२२
रत्नसिंहसूरि रलसिंहसरि
गा.१५०
(पे.३६) संवेगामृतपद्धति (पे.३७) संवेगरलमाला
(पे.३८) आवकवर्षाभिग्रह ११२१८ : लघुकथासङ्ग्रह
शिष्याः श्रीधर्मसूरी भावम्मि समाही पुण.. वर्षा चतुर्मासकाभि ४-१(१)=३.
....... वि. १७मी
११२२१ : विविधकथासङ्ग्रह
कागज
......वि. १६मी
२०
प्रति पाणीथी भींजायेली छे.पत्र १०मुंडबाल छे..:
503

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