________________
स्थिति
ग्रंथांक :प्रत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
अन्य ताडपत्रीय तथा कागळनी प्रतनी झेरोक्ष (अताका) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा
परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार १०३/१०४
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
४९८
नारचन्द्र ज्योतिष प्रथम प्रकरण
श्रेष्ठ
प्रतिपूर्ण
ताडपत्र
पाटण माइक्रोफिल्म रॉल नं.३२ अनुक्रमांक-६२४ उपर पर आनी विगत मळे छे. ते माइक्रोफिल्म रॉल नं. अने शॉट नं. सांकळ्या छे.....
: वि.११८०
:२४९
१०३/१०४
ग्र.३५०
:सयक्त प+ग
नारचन्द्र ज्योतिष
नरचन्द्रसूरि
मलधारी पाक्षिकसूत्र यशोदेवीय वृत्ति सह श्रेष्ठ किञ्चिद् चूर्णि पाक्षिकसूत्र पाक्षिकसूत्र-वृत्ति पाक्षिकसूत्र-चूर्णी सर्वसिद्धान्त विशमपदपर्याय... सर्वसिद्धान्तविषमपदर्याय कर्मविपाकसूत्र वृत्ति
यशोदेवसार
लोक5000
वि११/o
तित्थडकरे य तित्थे शिवशर्मकनिमित्तं नित्यं विशुद्धमनसो
HUNT
गद्य
यशोभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारणी. पृष्ठ माहिती नथी.
अष्ट
हस्तप्रत
१०३/१०४
ताडपत्र
१०३/१०४
पृष्ठ माहिती नथी. (प्रत क्रमांक ५०१AB)(प्रेस कोपी नी झेरोक्ष)(कोवा) गाथा १६६ थी १७८ सुधी मळे छे.
गा.१६७
ववगयकम्मकलड़कं वीरं रागादिवर्गहन्तारं
पद्य :गद्य
कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ गर्गर्षि कर्मविपाक प्राचीन प्रथम कर्मग्रन्थ-टीका कर्पूरप्रकर वृत्ति सह.....
श्रेष्ठ कर्पूरप्रकर
हरिषेण कर्पूरप्रकर-टीका पट्टावली तपागच्छीय सह टीका: श्रेष्ठ
संपण
१९३.
१०३/१०४.......... डेहेला ना उपाश्रयनी प्र.नं.-६६६९..............
पद्य
गद्य
५०३
संपर्ण
१०३/१०४(७२)
इसी प्रत की दो नकल है जिसे झेरोक्ष पत्रांक क्रमशः दिया गया है. आचार्य हीरसूरि की आज्ञा से १६४८ में वाचक कल्याणविजयजी द्वारा संशोधित प्रति./चाणस्मा भंडार की प्रति.
.......
सिरिमन्तो सुहहेउ अथ गुरुपरिपाटी कथनाय
पद्य
पट्टावली तपागच्छीय
मुनिसुन्दरसूरि...... पट्टावली तपागच्छीय-टीका धर्मसागर ५०४ औपपातिकसूत्रवृत्ति
औपपातिकोपाङगसूत्र-टीका अभयदेवसूरि ५०५. राजप्रश्नीयोपाङ्ग सह वृत्ति ..... :श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
६५
श्रीवर्द्धमानमानम्य वि. १६६२११८
१०३/१०४(१२८).. गद्य १०३/१०४(२३४)
टीका ग्रन्थान-३७००. लेखन स्थल: पाटण
289