________________
(पु) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र
ग्रंथांक
स्थिति
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
:क्लिन/ओरिजिनल । प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल डीवीडी (डीवीडी-पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष झे.पत्र/झे.पत्र) कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति प्रकार
भाषा
परिमाण
रचना वर्ष
आदिवाक्य
वृद्धविवरणानुसारि वृत्ति दशकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-नियुक्ति
ग्र.७००
शय्यम्भवसूरि भद्रबाहुस्वामी
धम्मो मङगलमुक्किट्ठ : संयुक्त प+ग सिद्धगतिमुवगयाणं : पद्य
गाथा संख्यामां थोड़क वैविध्य मळे छे.
गा.४४० ग्रं. ४४६
दशवैकालिकसूत्र-बृहद्वृत्त्यनुसारिणी
गद्य
वृत्ति
४१०
भगवतीसूत्र
श्रेष्ठ
कागज
२४०
अपूर्ण
(२४०)
जेसलमेर लोकागच्छीय प्रत पर से.
सुधर्मास्वामी
ग्रं. १६०००
गद्य
सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र
प्रा. संपूर्ण
नमो अरिहन्ताणं... १३२. नमो अरिहन्ताणं...
.(१३२......
:कागज
ग्रं.२२००
प्रास्ताविक ३ पत्र अलग से.
गया
:श्रेष्ठ
अपर्ण
कागज
(२६१)
ग्रं.४१४६
नमो अरहन्ताणं... नत्वाहेन्तं गुरु
बृहद्वृत्त्यनुसारि अवचूणि.
श्रेष्ठ
प्रतिपूर्ण
कागज
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सह अवचूरि जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र-अवचूर्णि प्रश्नव्याकरण सह दीपिका वृत्ति - प्रथमद्वार पर्यन्त प्रश्नव्याकरणसूत्र प्रश्नव्याकरणसूत्र-दीपिका टीका विनयपिटक
सुधमास्वामी
ग्रं.१३५०
नमा अरहन्ताण। जम्ब
गद्य
नमः श्रीशान्तिनाथाया
:अजितदेवसूरि
श्रेष्ठ
कागज
३५९
अपूर्ण पाली संपूर्ण
(३५९) पद्य (७९)
शतार्थी
श्रेष्ठ
कागज
सम्पादक-मुनि चतुरविजयजी. प्रारंभ में अर्थक्रम दिया गया है. योगशास्त्र के दूसरे अध्याय के १वे श्लोक की टीका.
हेमचन्द्रसूरि
परिग्रहारम्भ मग्नास
मानसागर
प्रणम्य परमप्रीत्या
योगशास्त्र-हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक योगशास्त्र के द्वितीय प्रकाश का हिस्सा परिग्रहारम्भ श्लोक-शतार्थी टीका धर्मविलास
:४१७
कागज
८७
:(८७) पद्य
मतिनन्दन गणि
अध्याय ४उल्लास
विश्वत्रयीजन्तुहिता
संघपति अष्ठिवर्य जावड आवक के आग्रह से रचना हुई है.
294