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ग्रंथांक
४४४
४४५
४४६
४४९
४५०
४५१
४५३
प्रत नाम
(पेटा नंबर), पेटा नाम
कृति नाम
व दृष्टान्तकथा चैत्यवन्दनभाष्य
चैत्यवन्दनभाष्य-सङ्घाचारटीका
चैत्यवन्दनभाष्य-कथा योनिप्राभृत
औपपातिकसूत्र औपपातिकोपाङ्गसूत्र उपासकदशाङ्गसूत्र
शतार्थी उपदेशमाला - हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा
उपदेशमाला का हिस्सा दोससयमूलजालं ५१वी गाथा -
शतार्थी टीका उपासकदशाङ्कचूर्णि
उपासकदशाङगसूत्र- चूर्णि
विद्याविलासकथामल्लिनाथकाव्यादुद्धृत
मल्लिनाथचरित्र महाकाव्य
विद्याविलास कथा भगवतीसूत्र
स्थिति
कर्ता
देवेन्द्रसूरि
धर्मघोषसूरि
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
सुधर्मास्वामी
श्रेष्ठ
सुधर्मास्वामी
श्रेष्ठ
धर्मदास गणि
उदयधर्म गणि
श्रेष्ठ
श्रेष्ठ
विनयचन्द्रसूरि
श्रेष्ठ
(पुत्रे) मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी आदि कृत प्रेस कॉपिओनी झेरोक्ष पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र
प्रत प्रकार
रचना वर्ष
आदिवाक्य
भाषा
प्रा.
सं.
संपूर्ण
प्रा.
अपूर्ण
प्रा.
संपूर्ण
प्रा.
संपूर्ण
प्रा.
सं.
संपूर्ण
प्रा.
संपूर्ण
सं.
अपूर्ण
परिमाण
गा. ६३
ग्रं. ७८०८
हस्तप्रत
हस्तप्रत
ग्रं. ११६७
हस्तप्रत
ग्रं. ८१२
हस्तप्रत
गा. १
हस्तप्रत
हस्तप्रत
हस्तप्रत
298
वि. १५६३
वि. १६०५
तिण्णि निसिही. देवेन्द्रवृन्दस्तुत
२२१
तित्थं जलवत्थवक्कल १०४
तेणें कालेणं तेणं
२४०
तेणं कालेणं तेणं
५६
दोससयमूलजालं पुव्व
नत्वानन्तार्थदेष्टार
२३
दिसिजत्तिय गाहा २७ १९
अस्ति स्त्रीस्पर्श
६०५
क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी
झे. पत्र (झें. पत्र) कृति प्रकार
पद्य
गद्य
पद्य
(२३२)
(904)
(२४०)
(५६)
पद्य
पद्य
(२३)
गद्य
(१९)
पद्य
(६०५)
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
पत्र २४० व २९२ नहीं है.
(जुनो नं. १४६ ) डक्कन कॉलेज की प्रति पर से नकल की गयी है.
(जुनो नं. १५८)
(जुनो नं. १६० ) उल्लिखित प्रतिलेखन वर्ष मूल प्रति का है. पंडित बेचरदास दोशी द्वारा संशोधित प्रति टिप्पणयुक्त प्रतिलेखन पुष्पिका मध्यम.
पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णिमां 'सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. मुनि चतुरविजयजी द्वारा संशोधित.
आचार्य सौभागयनन्दिसूरि के राज्य में पं हर्षसागरगणि ने यह प्रति लिखवायी.
परिमाण- श्लोक-३६३ से ५६४ तक..
डभोई जम्बूसूरि म.सा. के भंडार की मूल प्रति की प्रेस कॉपी लालजीवाली.